डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे के खिलाफ लंबित जांच पूरी कर उनके इस्तीफे पर निर्णय लेने के आदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने जारी किए हैं। हाईकोर्ट में सरकार की तरफ से दायर अपील तथा डिप्टी कलेक्टर की तरफ से दायर याचिकाओं की संयुक्त सुनवाई की गई।
गौरतलब है कि छतरपुर के लवकुश नगर में एसडीएम के पद पर पदस्थ डिप्टी कलेक्टर बांगरे ने सरकार से संतान पालन के लिए अवकाश लिया था। इस दौरान आमला में अपने नवनिर्मित घर के गृहप्रवेश कार्यक्रम और सर्वधर्म शांति सम्मेलन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उन्होंने अनुमति मांगी थी। सामान्य प्रशासन विभाग ने उन्हें अनुमति नहीं दी, जिससे नाराज होकर उन्होंने 22 जून 23 को सामान्य प्रशासन विभाग को अपना इस्तीफा भेज दिया था। याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया था कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 24 जनवरी 1973 को पारित मेमो के अंतर्गत सरकार को अधिकारी का इस्तीफे पर तत्काल निर्णय लेना चाहिए। याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 30 दिनों के अंदर इस्तीफे पर निर्णय लेने के आदेश जारी किए थे।
निर्धारित अवधि गुजर जाने के बावजूद भी इस्तीफे पर सरकार द्वारा कोई निर्णय नहीं लेने के खिलाफ डिप्टी कलेक्टर ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया था कि याचिकाकर्ता के खिलाफ विभागीय जांच लंबित है और आरोप के संबंध में पीएससी की अनुमति भी आवश्यक है। याचिकाकर्ता की तरफ से विभागीय जांच में लगाए गए आरोप स्वीकार कर लिए गए हैं। इसके बावजूद भी उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है। याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 10 दिनों में इस्तीफे पर निर्णय लेने के आदेश जारी किए थे।
सरकार की तरफ से उक्त आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की गई थी। अपील में कहा गया था कि विभागीय जांच की सभी औपचारिता दस दिनों में पूर्ण नहीं हो सकती है। आरोप के संबंध में पीएससी की अनुमति, संबंधित व्यक्तिों के बयान, जांच सहित सभी कार्यवाही की आवश्यक है। युगलपीठ ने सरकार की अपील तथा डिप्टी कलेक्टर की याचिकाओं पर संयुक्त रूप से सुनवाई की गई। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई गंभीर आरोप नहीं हैं। छुट्टी के दुरुपयोग का आरोप है और उन्होंने उसे स्वीकार कर लिया है। विभागीय जांच लंबित रहने के दौरान इस्तीफा स्वीकार किया जा सकता है। इस्तीफ पर निर्णय लेने के लिए समय सीमा निर्धारित की जाए। आग्रह को अस्वीकार करते हुए युगलपीठ ने विभागीय जांच पूरी कर इस्तीफे पर निर्णय लेने के आदेश जारी किए हैं।