रायपुर: राजधानी में एक ऐसा मंदिर भी है जो केवल दशहरे के दिन खुलती है साल में एक बार ही यहां माता का दरबार लगता है हम बात कर रहे हैं रायपुर के ब्राम्हणपारा स्थित कंकाली मठ आज विजयदशमी पर यहाँ मठ के पठ खुले। पारपंरिक मान्यताओं के अनुसार शस्त्र पूजा के बाद पट श्रद्धालुओं के लिए खोला गया पट खुलते ही मठ में लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो गया इस दिन कंकाली माता की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है ऐसी मान्यता है कि माता केवल एक दिन के लिए इस मंदिर में आती हैं। सालों से लोग पूजा की यह अनोखी परंपरा को मानते आ रहे हैं। आज दशहरे के दिन एक बार फिर कंकाली माता का दरबार सजाया गया सबसे पहले यहां प्रमुख महंत द्वारा माता कंकाली की विशेष पूजा-अर्चना के बाद शस्त्रों की खास तरीके से पूजा की गई ऐसी मान्यता है कि नवरात्री के बाद विजयादशमी के दिन एक दिन के लिए कंकाली माता इस मठ में आती हैं। तकरीबन चार सौ साल पहले इस परंपरा की शुरूआत की गई थी मठ की मान्यताओं को देखते हुए हर साल यहां हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है।
कहां जाता है कि जब कंकाली माता इस मठ में विराजती थी और उसी समय महंत कृपालु गिरी महाराज के सपने में देवी ने दर्शन दिए और तालाब खुदवाने के साथ मंदिर बनाने के निर्देश दिए इसके बाद कृपालु गिरी ने मंदिर का निर्माण कराया और माता उस मंदिर में चली गई लेकिन जाते समय यह विजयादशमी के दिन इस मठ में वापस आने का आश्वासन भी कंकाली माता ने महंत को दिया और उसी दिन से एक दिन के लिए इस मठ में आती है। इसी दिन मठ के पट को खोला जाता है। साथ ही माता के अस्त्र-शस्त्रों की पूजा की जाती है, क्योंकि माता इस दिन अपने सारे अस्त्र-शस्त्रों के साथ विराजती हैं। मठ की मान्यताओं को देखते हुए हर साल यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है आम और खास सभी वर्ग के लोग कंकाली माता के मठ पहुंचकर दर्शन करते हैं।
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