महादेव बेटिंग एप से जुड़ा मनी लॉन्ड्रिंग का मामला इन दिनों देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल, छत्तीसगढ़ के कारोबारी सौरभ चंद्राकर ने इंजीनियर रवि उप्पल के साथ मिलकर ऑनलाइन सट्टेबाजी से कमाई करने के लिए इस एप को बनाया था। वहीं इस एप के जरिए हुई कमाई को हवाला के जरिए होटल कारोबार और फिल्मों में लगाया गया। पहले मामले की जांच छत्तीसगढ़ पुलिस कर रही थी। अगस्त 2022 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इसकी जांच शुरू कर दी। जांच के क्रम में अब ईडी ने रणबीर कपूर, कपिल शर्मा जैसे कई बॉलीवुड हस्तियों को तलब किया है जिन पर महादेव बेटिंग ऐप के प्रमोटरों से पैसे लेने का आरोप लगाया गया है।
ऐसे में सवाल उठते हैं कि आखिर महादेव बेटिंग एप क्या है? इसके जरिए हुआ फर्जीवाड़ा क्या है? मामले में जांच कहां तक पहुंची? जांच बॉलीवुड तक कैसे पहुंच गई? मामले में आगे क्या होगा? आइये जानते हैं.
आखिर महादेव बेटिंग एप क्या है?
महादेव बेटिंग एप ऑनलाइन सट्टेबाजी के लिए बनाया एप है। यह यूजर्स के लिए पोकर, कार्ड गेम्स, चांस गेम्स नाम से लाइव गेम खेलने के लिए मंच है। इसके साथ ही एप के जरिए क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस, फुटबॉल जैसे खेलों और चुनावों में अवैध सट्टेबाजी भी की जाती थी।
छत्तीसगढ़ के भिलाई से आने वाले सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल महादेव ऑनलाइन बुक एप के मेन प्रमोटर हैं। ये अपनी गतिविधियां दुबई से संचालित करते हैं।
ईडी ने एक बयान में बताया कि महादेव बुक कई तरह की वेबसाइट और चैट एप्स पर कई तरह के ग्रुप चलाता है। इसके प्रमोटर अपनी वेबसाइट पर लोगों के कांटैक्ट नंबर का विज्ञापन चलाते हैं और लोगों को फायदा कमाने के लिए गेम खेलने का प्रलोभन देते हैं। ऐसे नंबरों को केवल व्हाट्सप्प पर ही संपर्क किया जा सकता है। एक बार जब यूजर इस नंबर से संपर्क करता है, तो उसे दो अलग नंबर दिए जाते हैं। एक कांटेक्ट नंबर पैसे जमा करने और सट्टा खेलने वालों को यूजर्स आईडी में मिलने वाले पॉइंट्स के लिए होता है। वहीं दूसरा नंबर जुटाए गए पॉइंट्स को भुनाने के लिए वेवसाइट से जुड़ने के लिए होता है।
तो गेम और सट्टेबाजी में घपला कैसे किया जाता था?
पैसे जुटाने, यूजर आईडी बनाने, ग्राहकों को यूजर आईडी क्रेडेंशियल्स देने और पैसे बांटने जैसे कई काम ब्रांच के मालिकों द्वारा किया जाते हैं। इन ब्रांच मालिकों को पैनल कहा जाता है। ध्यान देने वाली बात है कि ये गेम यूजर को अंधेरे में रखकर उन्हें खिलाए जाते थे। इसका मतलब यह है कि यूजर को केवल शुरुआत में ही फायदा होता था लेकिन बाद में वो पैसे खोते ही थे।
ईडी ने एक बयान में कहा कि बेटिंग एप कई शाखाओं द्वारा चलाया जाता था। इन शाखाओं को सौरभ और रवि एक छोटे फ्रैंचाइजी के रूप में बेचते थे और इनसे होने वाला फायदे का 80 फीसदी खुद के पास रख लेते थे। सामान्य तौर पर एक पैनल में मालिक और चार कर्मी होते थे और एक व्यक्ति एक से ज्यादा पैनल का मालिक हो सकता है।
इन पैनलों का संचालन दुबई स्थित मुख्यालय (हेड ऑफिस या एचओ) से सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल किया करते थे। मुख्यालय पैनल मालिक के लिए ‘प्रोफाइल’ बनाता है जो आगे खिलाड़ियों और सट्टेबाजों की यूजर प्रोफाइल बना सकता है।
खिलाड़ियों को बेनामी खातों में पैसा जमा करना होता है जो उन्हें ऑनलाइन शेयर किए जाते थे। फिर एचओ द्वारा यूजर को पैनल सौंपा जाता है। एजेंसी ने बताया कि बेनामी बैंक खातों का उपयोग करके भी भुगतान किया जाता है। ये बैंक खाते या तो धोखाधड़ी से खोले गए हैं या कमीशन के लिए ऋण दिए गए हैं।
एचओ द्वारा साप्ताहिक शीट पैनल मालिकों के साथ साझा की जाती है जिसमें सभी कुल लाभ या कुल हानि के आंकड़े शामिल होते हैं। जो भी मुनाफा हो उसका 20 प्रतिशत हिस्सा पैनल संचालक का होता है और यह रकम या तो बैंकिंग चैनल के जरिए या हवाला के जरिए पैनल मालिकों तक पहुंचाई जाती है। बाकी बचा मुनाफा मुख्यालय का हो जाता है।
इसी बीच में यूजर से साथ खेल कर दिया जाता था। दरअसल बैंक खाते और व्हाट्सएप नंबर बार-बार बदल दिए जाते हैं। अगर एफआईआर दर्ज भी होती है तो आम तौर पर केवल छोटे स्तर के सट्टेबाजों या पैनल ऑपरेटरों को ही गिरफ्तार किया जाता है। वहीं विदेश में बैठे मुख्य आरोपी भारतीय एजेंसियों की पहुंच से बाहर हैं।
छत्तीसगढ़ में कैसे फैला जाल?
अवैध गतिविधियों के लिए प्रमोटरों और पैनल ऑपरेटरों द्वारा संदिग्ध लोगों के नाम पर बड़ी संख्या में बैंक खाते खोले गए। ईडी के मुताबिक, सबसे ज्यादा बैंक खाते छत्तीसगढ़ में ही खुले। खिलाड़ियों और पैनल ऑपरेटरों की सहायता के लिए ‘एचओ’ द्वारा विदेशों से कई कॉल सेंटर चलाए जा रहे हैं। एजेंसी ने दावा किया कि भिलाई के युवा बड़ी संख्या में दुबई पहुंचे और बैक-एंड ऑपरेशन चलाना सीखने के बाद भारत वापस आकर अपने स्वयं के पैनल खोलने लगे।
ईडी ने दावा किया कि छत्तीसगढ़ पुलिस का एएसआई चंद्र भूषण वर्मा राज्य में ग्राउंड पर मुख्य संपर्ककर्ता के रूप में काम कर रहा था। वह सतीश चंद्राकर नाम के एक व्यक्ति के साथ दुबई स्थित महादेव ऑनलाइन बुक के प्रमोटरों से हवाला के जरिए हर महीने मोटी कमाई कर रहा था। आगे इस पैसे को एएसआई चंद्र भूषण वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और राजनीतिक रूप से मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े नेताओं को ‘संरक्षण राशि’ के रूप में वितरित कर रहा था।
ईडी ने बताया कि अब तक की जांच से पता चला है कि एएसआई चंद्रभूषण वर्मा को लगभग 65 करोड़ नकद राशि मिली थी और उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और राजनेताओं को रिश्वत दी थी। एएसआई वर्मा ने ईडी के सामने स्वीकार किया है कि वह कई शक्तिशाली लोगों के लिए बड़ी मासिक रिश्वत ले रहा था और भुगतान कर रहा था।
अब जानते हैं एप का बॉलीवुड से कैसे कनेक्शन जुड़ा?
दरअसल, इन एप से जो भी काली कमाई होती थी, उसे प्रमोटर बॉलीवुड फिल्मों और होटल के व्यापार में करते थे। धीरे-धीरे रवि और सौरभ की बॉलीवुड हस्तियों से पहचान हो गई। अब बारी आती है दुबई में हुई सौरभ की आलीशान शादी की। एजेंसी की मानें तो सौरभ ने अपनी शादी में परफॉर्मेंस के लिए कई बॉलीवुड हस्तियों को बुलाया। यही नहीं सौरभ ने सेलेब्स को नागपुर से दुबई ले जाने के लिए कई प्राइवेट जेट्स तक हायर किए थे। एप प्रमोटर ने अपनी शादी में परफॉर्मेंस के लिए 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि नकदी के रूप में दी। डिजिटल भुगतान से हुए खुलासे के मुताबिक अकेले 112 करोड़ रुपये हवाला के जरिए इवेंट मैनेजमेंट कंपनी आर-1 इवेंट्स को दिए गए। वहीं 42 करोड़ रुपये की होटल बुकिंग नकद भुगतान करके की गई थी।
ईडी ने हाल ही में कोलकाता, भोपाल और मुंबई जैसे बड़े शहरों में फैले मनी लॉन्डरिंग नेटवर्क्स पर छापेमारी की थी। इस दौरान एजेंसी को 417 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की थी।
एजेंसी ने किन सेलेब्स को तलब किया है?
महादेव बेटिंग एप घोटाले मामले को लेकर जांच तेज कर दी गई है। मामला अब इसलिए सुर्खियों में है क्योंकि ईडी ने बॉलीवुड सेलेब्स रणबीर कपूर, श्रद्धा कपूर, कपिल शर्मा, हिना खान और हुमा कुरैशी को पूछताछ के लिए बुलाया है। हालांकि, रणबीर कपूर, कपिल शर्मा और हुमा कुरैशी ने निदेशालय के सामने पेशी के लिए और अधिक समय की मांग की है। इसके अलावा मामले में नेहा कक्कड़ समेत कुछ अन्य सेलेब्स से भी पूछताछ की जा सकती है।