ओंकारेश्वर नगरी में उदित हुआ सनातन का नव सूर्य, आदिगुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची मूर्ति का अनावरण

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आदिगुरु शंकराचार्य की बाल्यकाल अवस्था की प्रतिमा का अनावरण प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान के द्वारा किया गया। ओम आकार के मांधाता पर्वत पर प्रतिमा अनावरण का कार्यक्रम हुआ तो वहीं सिद्धवरकूट में ब्रह्मोत्सव मनाते हुए देश भर से आए साधु संतों के बीच सीएम शिवराज ने शंकराचार्य के जीवन और अध्यात्म पर लिखी तीन पुस्तकों के विमोचन के साथ ही फिल्म शंकर के निर्माण की घोषणा करते हुए सभा को संबोधित किया, जिसके बाद संत विमर्श का कार्यक्रम संपन्न हुआ। संपूर्ण कार्यक्रम के दौरान सनातन के दिव्य दर्शन की अनुभूति के साथ ही हर ओर आदिगुरु के एकात्मवाद के प्रकाश की अलौकिक अलख दिखाई दी।

खंडवा जिले के मांधाता पर्वत पर गुरुवार को चारों ओर शिवोहम की गूंज दिखाई दे रही थी। यहां के ओम आकर पर्वत पर सनातन के द्योतक आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण कार्यक्रम अपने आप में गरिमा, भव्यता और दिव्यता लिए संपन्न हुआ। आदिगुरु की एकात्मता की मूर्ति का अनावरण कार्यक्रम प्रमुख संतों की उपस्थिति में भव्यता के साथ हुआ। इसमें शंकर संगीत वेदोच्चार, आचार्य शंकर के स्त्रोतों पर एकाग्र समवेत नृत्य प्रस्तुति “शिवोहम” तथा आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास द्वारा प्रकाशित “एकात्म धाम” और अद्वैत युवा जागरण शिविर आधारित पुस्तकों का विमोचन भी किया गया।
इतना ही नहीं आशुतोष गौरीकर द्वारा निर्मित फिल्म “एकात्मकता की यात्रा” का प्रदर्शन भी किया गया। साथ ही साधु संतों को लेकर ब्रह्मोत्सव कार्यक्रम भी किया गया, जिसमें अद्भूत शास्त्रीय संगीत पर आधारित नृत्य का भी आयोजन हुआ।

विश्व को मिलेगा मानवता उत्थान का गुरु ज्ञान
एकात्मकता प्रतिमा के इस अनावरण कार्यक्रम में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने संतों और आम जनता को संबोधित करते हुए कहा कि जब उन्होंने नर्मदा यात्रा निकाली थी, तभी नर्मदा अष्ट की रचना करने वाले आदिगुरु शंकराचार्य के बारे में उन्होंने अध्ययन किया और संकल्प लिया कि नर्मदा तट पर एकात्मता का संदेश देने वाले आदिगुरु का एकात्म धाम का निर्माण किया जाएगा। एकात्म धाम में आचार्य शंकर की बाल रूप में 108 फीट की एकात्मता की मूर्ति केवल एक प्रतिमा नहीं, बल्कि यह ऊर्जा का ऐसा स्त्रोत सिद्ध होगी। जहां से संपूर्ण विश्व मानवता के उत्थान हेतु गुरु ज्ञान प्राप्त करेगा। यहां निर्मित 12 वर्षीय शंकर की मूर्ति उस समय की है, जब श्री गुरु गोविंदपाद ने भगवतपाद श्री शंकर को काशी की दिशा में जाने का आदेश देते हुए कहा कि जाओ सनातन वेदान्त अद्वैत परंपरा की दोबारा स्थापना करो।

अद्वेत लोक का भूमिपूजन हुआ
आचार्य शंकर की 108 फीट ऊंची मूर्ति के अनावरण से पहले मांधाता पर्वत पर उत्तरकाशी के स्वामी ब्रहोन्द्रानन्द तथा 32 संन्यासियों द्वारा प्रस्थानत्रय भाष्य पारायण और दक्षिणाम्नाय श्रृंगेरी शारदापीठ के मार्गदर्शन में देश के लगभग 300 विख्यात वैदिक आर्चकों द्वारा वैदिक रीति से पूजन तथा 21 कुंडीय हवन किया गया। एकात्मता की मूर्ति का अनावरण और अद्वैत लोक का भूमि एवं शिलापूजन दक्षिणाम्नाय श्रृंगेरी शारदापीठ के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ।

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