महिला आरक्षण विधेयक पर बहस जारी, बिल लाने में देरी पर भाजपा-कांग्रेस में टकराव

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संसद के विशेष सत्र का आज तीसरा दिन है। आज लोकसभा में ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ पर लंबी बहस की जाएगी। बता दें, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विशेष सत्र के दूसरे दिन लोकसभा में विधेयक पेश किया था।

केसी वेणुगोपाल ने उठाया संविधान की प्रस्तावना में बदलाव का मुद्दा

संसद में बांटी गईं संविधान की प्रतियों को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने बुधवार को कहा, “यह कैसे हो सकता है? उनके मन में जो है वह उनके कार्यों से झलकता है। अब प्रस्तावना और संविधान में संशोधन किया गया है। प्रस्तावना में सबसे महत्वपूर्ण शब्द समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष का न होना स्पष्ट रूप से संदेश है जो सरकार दे रही है कि वे इस पर विश्वास नहीं करते। यह पूरी तरह से दुर्भाग्यपूर्ण है।”

UPA और INDI की विधेयक पास कराने की इच्छा नहीं: अश्विनी चौबे

केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा, “आज तक महिला आरक्षण बिल पर ये UPA और INDI के लोग जनता को भ्रम में डालते रहें। उनकी पहले भी इच्छा नहीं थी और आज भी इसे पास कराने की इच्छा नहीं है, लेकिन ये बिल पास होगा और महिलाओं को आरक्षण जरूर मिलेगा।”

‘सोनिया गांधी ने जातीय जनगणना की भी मांग उठाई’

सोनिया गांधी ने कहा, “राजीव गांधी का सपना अभी तक आधा ही पूरा हुआ है, इस बिल के पारित होने के साथ वह पूरा होगा। कांग्रेस पार्टी इस बिल का समर्थन करती है… मैं एक सवाल पूछना चाहती हूं देश की स्त्रियां अपनी राजनीतिक ज़िम्मेदारी का इंतजार कर रही हैं लेकिन अभी भी इसके लिए उन्हें कितने वर्ष इंतज़ार करना होगा? कांग्रेस की मांग है कि यह बिल तुरंत लागू किया जाए और इसके साथ ही जातीय जनगणना भी कराई जाए।”

महिला आरक्षण विधेयक राजीव गांधी का सपना था: सोनिया गांधी

लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, “यह मेरी जिंदगी का मार्मिक क्षण है, पहली बार स्थानीय निकायों में स्त्री की भागीदारी तय करने वाला संविधान संशोधन मेरे जीवन साथी राजीव गांधी ही लेकर आए थे… बाद में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में कांग्रेस ने उसे पारित कराया था, आज उसका नतीजा है कि आज देश भर के स्थानीय निकायों में हमारे पास 15 लाख चुनी हुई महिला नेता हैं।”

कांग्रेस के पास कोई मुद्दा ही नहीं: जावड़ेकर

भाजपा सांसद प्रकाश जावड़ेकर ने महिला आरक्षण विधेयक को लेकर कहा कि इस पर कोई सवाल ही नहीं है कि एक रिवॉल्यूशन बना है। 2010 में कांग्रेस पार्टी महिला आरक्षण बिल लेकर आई थी, भाजपा ने समर्थन भी किया था लेकिन लोकसभा में इस बिल को पास करने की उनकी हिम्मत नहीं थी। अभी जो मुद्दें उठ रहे हैं यह दर्शा रहा है कि कोई अन्य मुद्दा नहीं है।

खरगे बोले- चुनाव के चलते महिला आरक्षण विधेयक का श्रेय ले रही भाजपा

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बुधवार को कहा कि पहले ही राज्यसभा में 2010 में हमने (महिला आरक्षण बिल) पास किया है, लोकसभा में किसी कारण बिल पास नहीं हुआ। यह कोई नया विधेयक नहीं है… मेरा अंदाज़ा है कि ये लोग चुनाव की दृष्टि से ऐसा बोल रहे हैं, लेकिन इन्होंने कहा है जनगणना, परिसीमन होने के बाद सभी चीज़ों को ध्यान में रखते हुए इसे लागू किया जाएगा इसमें समय लगेगा, जो विधेयक राज्यसभा में पास हुआ था ये उसे आगे बढ़ा सकते थे लेकिन इनकी मंशा कुछ और है। हम महिला आरक्षण बिल के पक्ष में हैं लेकिन जो कमियां हैं उन्हें दुरुस्त करना चाहिए।

महिला आरक्षण विधेयक को लेकर बंद हो श्रेय लेने की होड़: संजय राउत

शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के सांसद संजय राउत ने महिला आरक्षण विधेयक को लेकर कहा, “बिल पर श्रेय लेने की लड़ाई बंद होनी चाहिए। कल प्रधानमंत्री पुराने संसद भवन से पैदल चलकर नए संसद भवन में आए। इस देश की शुरूआत पैदल चलकर हो गई थी, गांधी जी पैदल चले, स्वतंत्रता संग्राम के कई नेता पैदल चले। राजीव गांधी पैदल चले, राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा पैदल चल कर की। मैंने कल पहली बार प्रधानमंत्री को पैदल चलते देखा लेकिन इस प्रवास और प्रयास में कई चीज़े पुराने लोगों ने कर ली है। जिसमें महिला विधेयक, ISRO और बहुत कुछ है। ये देश का कार्य है, सरकार आपकी है आने वाले दिनों में किसी और की होगी। अगर आप महिलाओं की बात करते हैं तो श्रेय वाद की बात क्यों करते हैं?

उत्तराखंड सीएम ने की महिला आरक्षण विधेयक पेश होने की तारीफ

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण विधेयक के पेश होने पर खुशी जताई। उन्होंने कहा, “कल ऐतिहासिक दिन था, प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत के नए संसद भवन में कार्य प्रारंभ हुआ। साथ ही महिला आरक्षण बिल भी पेश हुआ। प्रधानमंत्री ने ऐतिहासिक काम किया है, मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं।”

50 फीसदी राज्यों से दिलानी होगी मंजूरी
संसद से पारित होने और कानून की शक्ल लेने से पहले विधेयक को 50 फीसदी राज्यों की विधानसभाओं से मंजूरी की जरूरत होगी। संविधान संशोधन विधेयक होने के कारण अनुच्छेद 368 के तहत ऐसा करना अनिवार्य हैै।

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