भोपाल । कार और अन्य चार पहिया वाहनों की तरह अब आपके मोबाइल, लैपटॉप, फ्रिज और वाशिंग मशीन की एक्सपायरी डेट तय हो गई है। निर्धारित तिथि के बाद केंद्र सरकार इसे ई-वेस्ट मानते हुए नष्ट करने के लिए कहेगी।केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने करीब 134 इलेक्ट्रिक व इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों को तय सीमा के बाद कबाड़ मानने का निर्देश जारी कर दिया है। औसत आयु के बाद इनका निस्तारण करवाकर सर्टिफिकेट लेना होगा। नए उपकरण की खरीदी पर कार की ही तरह छूट मिलेगी।
ई-वेस्ट इसलिए खतरनाक
ई-वेस्ट में मर्करी, आर्सेनिक, लेड, कैडमियम, सैलेनियम, हेक्सावैलेंट क्रोमियम और फ्लेग रिडार्डेंट्स होते हैं, जो सांस, फेफड़ों का कैंसर और त्वचा संबंधी बीमारियों की वजह बनते हैं। भोपाल में सालाना 712 टन ई-वेस्ट निकलता है। सबसे ज्यादा ई-वेस्ट कम्प्यूटर और एसी से निकलता है। आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। प्रोडक्ट की एक्सपायरी डेट बीत जाने के बाद ई-वेस्ट के निस्तारण की जिम्मेदारी ब्रांड उत्पादकों की होगी। वही इसे समुचित तरीके से नष्ट करेंगे। इसके बाद ही उन्हें पुराने के बदले नया प्रोडक्ट लांच करने की अनुमति होगी।
यह है नियम
1 अप्रेल 2023 से ई-वेस्ट निपटाने का नया कानून लागू है। जो ई-वेस्ट पैदा करेगा, वही नष्ट करेगा। यदि किसी कंपनी ने वाशिंग मशीन बनाई है तो 10 साल बाद जितनी वाशिंग मशीन पहले बनाई थी, उसके 60त्न हिस्से को नष्ट करने का प्रमाण पत्र देने के बाद ही उसे फिर से उत्पादन की अनुमति मिलेगी। जिम्मेदारी न उठाने वालों पर जुर्माना और जेल दोनों होगा। ई-वेस्ट की खरीदी या निपटान में नगर निगम की कोई भूमिका नहीं है। पूरा काम पीसीबी ही देखता है। ई-वेस्ट क्लीनिक शुरू हुआ था, लेकिन फिलहाल बंद है। पीसीबी अभी निजी एजेंसियों से इसके लिए काम करवा रहा है।
देश का पहला ई-कचरा क्लिनिक भोपाल में
कम्प्यूटर, मॉनिटर, माउस, कीबोर्ड, मोबाइल, लैपटॉप, कंडेनसर, माइक्रो चिप्स, टेलीविजन, वाशिंग मशीन आदि से निकले ई-वेस्ट को नष्ट करने व प्रसंस्करण के लिए देश का पहला ई-कचरा क्लिनिक एमपी नगर जोन-2 में स्थापित है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और भोपाल नगर निगम संयुक्त रूप से इसका संचालन करते हैं।