देश का नाम भारत होना चाहिए या इंडिया इसे लेकर इन दिनों सत्ता पक्ष और विपक्षी दलों के बीच जबर्दस्त जंग छिड़ी हुई है. बीजेपी जहां इंडिया को गुलामी का प्रतीक बता रही है तो वहीं विपक्षी दलों का कहना है कि मोदी सरकार विपक्ष के इंडिया गठबंधन से डरकर ये सब कर रहा है. दोनों तरफ से इस मुद्दे को लेकर जमकर बयानबाजी देखने को मिल रही है, लेकिन यूपी में सबसे बड़े विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के लिए इसका जवाब देना मुश्किल हो रहा है. भारत बनाम इंडिया की लड़ाई में सपा बुरी तरह फंस गई है.
दरअसल ये पूरा विवाद उस वक्त शुरू हुआ जब जी-20 देशों को राष्ट्रपति की ओर निमंत्रण पत्र भेजा गया, इस निमंत्रण में प्रेसीडेंट ऑफ भारत लिखा था, जिसके बाद कांग्रेस ने इस पर सवाल उठाया और कहा कि क्या अब मोदी सरकार देश का भी नाम बदलने जा रही है. इंडिया गठबंधन के दल इसे लेकर अब सरकार पर निशाना साध रहे हैं, उनका कहना है कि जब से उन्होंने अपने गठबंधन का नाम इंडिया रखा है तब से मोदी सरकार को इस नाम से ही नफरत हो गई है.
इंडिया बनाम भारत विवाद में कैसे फंसी सपा
इस पूरे विवाद में सपा इसलिए फंस गई हैं, क्योंकि देश का नाम भारत करने की मांग सबसे पहले सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने ही की थी. साल 2004 में जब मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने ये प्रस्ताव यूपी विधानसभा में रखा था कि संविधान में ‘इंडिया देट इज भारत’ जो लिखा है उसे संशोधित करके ‘भारत देट इज इंडिया’ रखा जाए. ये प्रस्ताव विधानसभा में पास भी हो गया, लेकिन मुलायम सिंह देश का नाम नहीं बदल पाए क्यों वो प्रधानमंत्री नहीं थे.
अब सपा की मुश्किल ये है कि वो इंडिया गठबंधन का हिस्सा है और अब बीजेपी ऐसा करने की मांग कर रही है, ऐसे में बीजेपी का विरोध करना सपा की मजबूरी बन गई है. सपा न तो खुलकर इसका विरोध ही कर पा रही है और न समर्थन. सपा बस ये कह रही है कि जब मुलायम सिंह इस प्रस्ताव को लाए थे तो बीजेपी ने इसका समर्थन क्यों नहीं किया.
सपा प्रवक्ता ने दी ये सफाई
वहीं इस पूरे मामले पर सपा प्रवक्ता सुनील साजन का कहना है कि “हमारे लिए इंडिया, भारत और हिन्दुस्तान तीनों एक जैसे हैं. इन नाम सुनते ही हमारे मन में गर्व का भाव आता है. उन्होंने बीजेपी पर सवाल उठाते हुए कहा कि जैसे ही हमने इंडिया गठबंधन बनाया बीजेपी को दिन में तारे नजर आने लगे है, उन्हें पता है कि अगली सरकार इंडिया गठबंधन की बनने जा रही है. बीजेपी देश के गरीबों, किसानों और बेरोजगारों के लिए कोई काम नहीं किया और अब कागज पर भारत नाम करके वो 2024 में जीत नहीं पाएंगे.”