आज मध्यरात में हर घर में कान्हा जन्म लेंगे. आज पूरे देश में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. क्योंकि आज भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र रात के समय जन्माष्टमी पर पड़ेगा.
लल्ला के स्वागत में सजी कान्हा की नगरी, झिलमिल रोशनी से जगमगाती जन्मस्थली
मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. भक्त भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय करते हैं. इस दिन व्रत रखकर श्रीकृष्ण भक्त बाल गोपाल की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते है. धार्मिक मान्यता है कि पूजा के बाद भगवान श्रीकृष्ण की आरती जरुर करनी चाहिए, नहीं तो कान्हा की पूजा अधूरी रह जाएगी. अगर आप भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कर रहे है तो यहां से आरती पढ़ सकते है.
श्रीकृष्ण की आरती
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला
श्रवण में कुण्डल झलकाला,नंद के आनंद नंदलाला
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली
लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक
चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की, आरती कुंजबिहारी की.॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै, बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग ग्वालिन संग।
अतुल रति गोप कुमारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की.॥
जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा।
स्मरन ते होत मोह भंगा, बसी शिव सीस।
जटा के बीच,हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥ ॥ आरती कुंजबिहारी की.॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भव फंद।
टेर सुन दीन दुखारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की.॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥