केंद्र सरकार ने 18-22 सितंबर को संसद का विशेष सत्र बुलाया है. 31 अगस्त 23 को केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इसकी जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि विशेष सत्र की पांच बैठकें की जाएंगी. राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीपीए) ने विशेष सत्र बुलाने का निर्णय लिया और इसकी विधिवत जानकारी संसद को दी.
समाचार एजेंसी आईएएनएस के सूत्रों के मुताबिक विशेष सत्र के दौरान कोई प्रश्नकाल, कोई शून्यकाल और कोई निजी सदस्य कार्य नहीं होगा. सरकार विशेष सत्र के दौरान भारत की जी20 अध्यक्षता और जी20 शिखर सम्मेलन पर चर्चा कर सकती है.
संसद के विशेष सत्र में पेश हो सकते हैं ये बिल
इंडिया टुडे के मुताबिक इस विशेष सत्र के दौरान एक देश एक चुनाव, समान नागरिक संहिता और महिलाओं के आरक्षण के मुद्दों पर विधेयक पेश करने के अनुमान जताया गया है. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने विशेष सत्र को लेकर कहा, “अमृत काल के बीच संसद में सार्थक चर्चा और बहस की उम्मीद है.”
एक देश एक चुनाव के तहत लोकसभा चुनाव और अलग-अलग राज्यों की विधानसभा चुनावों को एक ही समय पर कराया जाएगा. पहले भी कई दफा इस कानून को लाने पर विचार किया गया है. इस बारे में विधि आयोग से अध्ययन भी किया है.
समान नागरिक संहिता का मकसद सभी धर्म, जाति, पंथ, सेक्सुअल ओरिएंटेशन और लिंग के लिए एक कानून लाना है. इसके तहत व्यक्तिगत कानून, विरासत, गोद लेने और उत्तराधिकार से संबंधित कानूनों को एक सामान्य संहिता के तहत लाने की संभावना है.
भारत के संसदीय इतिहास में अब तक कितने विशेष सत्र
पहले भी कई सरकारों के दौरान संविधान दिवस और कई विशेष अवसरों को मनाने के लिए दोनों सदनों की कई विशेष सत्र और बैठकें बुलाई हैं. एजेंसी के मुताबिक, तमिलनाडु और नगालैंड में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने के लिए फरवरी 1977 में दो दिनों के लिए राज्यसभा का विशेष सत्र बुलाई गई थी.
इसके अलावा अनुच्छेद 356(3) के तहत हरियाणा में राष्ट्रपति शासन की मंजूरी के लिए 3 जून 1991 को एक और दो दिवसीय विशेष सत्र (158वां सत्र) आयोजित किया गया. जुलाई 2008 में मनमोहन सिंह सरकार से समर्थन वापस लिए जाने के बाद लोकसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था.