इंदौर में साइबर क्राइम इतनी तेजी से बढ़ रहे हैं कि पुलिस भी परेशान है। साइबर ठग नए नए तरीकों से फ्राड कर रहे हैं। अब इंदौर की प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी पीडी अग्रवाल एंड कंपनी के साथ लाखों रुपए की ठगी का मामला सामने आया है।
कैसे हुआ फ्राड
पीडी अग्रवाल एंड कंपनी की अकाउंटेंट को डायरेक्टर के नाम से मैसेज आया। उसमें लिखा था कि इस अकाउंट में 19 लाख रुपए ट्रांसफर कर दो। डीपी पर डायरेक्टर की तस्वीर लगी थी। ठग ने यह भी मैसेज किया कि मैं मीटिंग में हूं पैसे जल्दी डाल दो। अकाउंटेंट ने पुष्टि करने के लिए डायरेक्टर के ड्राइवर को फोन किया। ड्राइवर ने बताया कि वे अभी मीटिंग में ही हैं। इस पर अकाउंटेंट को पुष्टि हो गई और उसने खाते में पैसे डाल दिए। बाद में पता चला कि वह खाता बिहार के मजदूर के नाम पर था। जब पुलिस ने मजदूर को पकड़ा तो उसे पता ही नहीं था कि उसके नाम से खाता बना है और उससे साइबर फ्राड हो गया है। मजदूर के खाते से भी यह पैसे अलग अलग खातों में ट्रांसफर कर लिए गए थे। अब पुलिस इन खातों के आधार पर आरोपियों की तलाश कर रही है।
डीपी में दिख रही थी डायरेक्टर की फोटो
अकाउंटेंट दीपा सेठिया ने बताया कि 17 जून 2023 को उसके व्हाट्सएप नंबर से मैसेज आया। जिसमें कंपनी के निदेशक महेन्द्र अग्रवाल की डीपी लगी थी। मैसेज करने वाले ने खुद को डायरेक्टर बताते हुए कहा कि यह उनका प्रायवेट नंबर है यह नंबर किसी को दे नहीं। मैं एक अकाउंट नंबर दे रहा हूं, उसमें 19 लाख 90 हजार ट्रांसफर कर दीजिए। कॉलर ने नरुपा जगदाले का अकाउंट नंबर दिया। इसके बाद दीपा सेठिया ने दिए अकाउंट नंबर में पैसे जमा कर दिए। टीआई जितेन्द्र यादव के मुताबिक पीडी अग्रवाल की अकाउंटेंट दीपा सेठिया की शिकायत पर अकाउंट होल्डर ब्रजेश कुमार यादव निवासी गोपालगंज, बिहार, सुनीता देवी निवासी झरसीगुड़ा, उड़ीसा, अभिषेक कुमार निवासी सिवान, बिहार, सुमित निशाद निवासी रुद्रपुरा, उत्तराखंड और दीपक कुमार निवासी पश्चिमी चम्पारण, बिहार के खिलाफ केस दर्ज किया है।