सावन का महीना 31 अगस्त 2023 को समाप्त होगा. सावन में शिव जी के साथ उनके पूरे परिवार की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है. इस पावन महीने में भगवान शिव अपने परिवार समेत पृथ्वी पर आते हैं. सावन सोमवार पर शिव जी, मंगला गौरी व्रत में देवी पार्वती और सावन विनायक चतुर्थी गणपति को समर्पित हैं. साथ ही स्कंद षष्ठी के दिन शिव के पुत्र कार्तिकेय की पूजा की जाती है.
पुराणों में अक्सर शिव जी के 2 पुत्रों का ही जिक्र होता है लेकिन क्या जानते हैं शिव जी की पांच बेटियां भी थीं, खास बात ये है कि देवी पार्वती भी इस बात से अनजान थी कि महादेव 5 बेटियों के भी पिता हैं. आइए जानते हैं क्या है भोलेनाथ की कन्याओं की कहानी.
रहस्यमयी तरीके से हुआ शंकर जी की 5 बेटियों का जन्म
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव और माता पार्वती सरोवर में जलक्रीडा कर रहे थे. उसी समय संयोग वश भगवान शिव का वीर्यस्खलन हो गया. उस दौरान भोलेनाथ ने अपने वीर्य को एक पत्ते पर रख दिया. उसी वीर्य से 5 कन्याओं का जन्म हुआ. ये पांच कन्याएं मनुष्य नहीं बल्कि नाग के रूप में जन्मीं थीं. इनके नाम है जया, विषहर, शामिलबारी, देव और दोतलि है.
शिव की बेटियों से अनजान थीं माता पार्वती
माता पार्वती को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी पर भगवान शिव इन नाग कन्याओं पर गणेश और कार्तिकेय की तरह ही प्रेम लुटाते हैं. वे हर दिन ब्रह्म मुहूर्त में सरोवर के पास जाकर पांच नाग कन्याओं से मिलते थे और उनके साथ खेलते थे. एक दिन माता पार्वती को संदेह हुआ कि शिव बिना बताए रोज सुबह कहां जाते हैं. एक दिन वह शिव का पीछा करते हुए सरोवर पहुंची और वहां भोलेनाथ को नाग कन्याओं के साथ पिता के समान स्नेह करते हुए देख क्रोधित हो उठीं.
देवी पार्वती हुईं क्रोधित
क्रोध के वशीभूत होकर उन्होंने पांचों नाग कन्याओं को मारना चाहा. जैसे ही उन्होंने मारने के लिए पैर उठाया तभी भोलेनाथ ने उन्हें रोक दिया और पुत्रियों के जन्म की सारी कथा बताई. भोलेनाथ ने कहा कि सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन जो इन नाग कन्याओं की पूजा करेगा, उनके परिवार को सर्पदंश का भय नहीं रहेगा, घर में अन्न-धन के भंडार भरे रहेंगे.
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