उज्जैन: हिंदू धर्म में नाग की पूजा करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस धर्म में आस्था रखने वाले लोग सांपों को भगवान शिव का आभूषण मानते हैं। हमारे देश में नागदेवता के वैसे तो कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। लेकिन विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर की तीसरी मंजिल पर ही श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थित है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसे सिर्फ वर्ष में केवल एक बार नागपंचमी के दिन ही खोला जाता है।
मान्यताओं के अनुसार, नागराज तक्षक स्वयं इस मंदिर में मौजूद हैं। इस वजह से केवल नागपंचमी के दिन मंदिर को खोलकर नाग देवता की पूजा-अर्चना की जाती है। इसके साथ ही कई मायनों में नागचंद्रेश्वर मंदिर हिंदू धर्म के लोगों के लिए खास है। नागचंद्रेश्वर मंदिर में 11वीं शताब्दी की प्रतिमा मौजूद है, जिसको लेकर दावा किया जाता है कि ऐसी प्रतिमा दुनिया में और कहीं नहीं है। इस प्रतिमा को नेपाल से यहां लाया गया था। नागचंद्रेश्वर मंदिर में भगवान विष्णु की जगह शंकर भगवान शेष नाग की शैय्या पर विराजमान हैं। मंदिर में जो प्राचीन मूर्ति स्थापित है उस पर शिव जी, गणेश जी और मां पार्वती के साथ दशमुखी सर्प शैय्या पर विराजित हैं।
देश में एकमात्र प्रतिमा जिसमें शेषनाग पर विराजे हैं शिवजी
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए सर्पराज तक्षक ने घोर तपस्या की थी। सर्पराज की तपस्या से भगवान शंकर खुश हुए और फिर उन्होंने सर्पों के राजा तक्षक नाग को वरदान के रूप में अमरत्व दिया। उसके बाद से ही तक्षक राजा ने प्रभु के सान्निध्य में ही वास करना शुरू कर दिया। लेकिन महाकाल वन में वास करने से पूर्व उनकी यही मंशा थी कि उनके एकांत में विघ्न ना हो, इस वजह से सिर्फ नागपंचमी के दिन ही उनके मंदिर को खोला जाता है। इस प्राचीन मंदिर का निर्माण राजा भोज ने 1050 ईस्वी के आसपास कराया था। इसके बाद सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने साल 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। उसी समय इस मंदिर का भी जीर्णोद्धार किया गया था। इस मंदिर में आने वाले भक्तों की यह लालसा होती है कि नागराज पर विराजे भगवान शंकर का एक बार दर्शन हो जाए। नागपंचमी के दिन यहां लाखों भक्त आते हैं।
20 अगस्त की रात 12 बजे खुलेंगे पट
महानिवार्णी अखाड़े के महंत विनीत गिरिजी महाराज ने बताया कि वर्ष में एक बार खुलने वाले श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट 20 अगस्त 2023 रविवार की रात्रि 12 बजे शासकीय पूजा अर्चना के बाद खोले जाएंगे। जो कि 21 अगस्त की रात 12 बजे तक कुल 24 घंटे खुले रहेंगे।
वर्ष में केवल एक बार खुलते हैं नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट
नागपंचमी पर यह रहेगा खास संयोग
पंचांग की गणना के अनुसार 21 अगस्त को वर्षों बाद बुधादित्य योग में नागपंचमी का पर्वकाल आ रहा है। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में एक साल बाद 24 घंटे के लिए भगवान नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट खुलेंगे। घरों में कुल परंपरा अनुसार नागदेवता का पूजन होगा। ज्योतिषाचार्य पं. सतीश नागर ने बताया द्वितीय शुद्ध श्रावण शुक्ल पक्ष की नागपंचमी सोमवार के दिन चित्रा नक्षत्र, शुभ योग, बव करण व कन्या राशि के चंद्रमा की साक्षी में 21 अगस्त सोमवार को आ रही है। इसी दिन महाकालेश्वर की सवारी का अनुक्रम भी रहेगा। ग्रहों में शुक्र का बाल्यत्व समाप्त होगा। बुध वक्री होंगे। इस दिन कुल तथा लोक परंपरा के अनुसार नाग देवता के पूजन की मान्यता है।