इंदौर: शहर में फिर एक नए जमीन घोटाले की तैयारी चल रही है। डेढ़ साल के लॉकडाउन और नियम-कायदों की पेचीदगियों के कारण डायरी व पर्ची पर ही प्लॉट बेचे जा रहे हैं। बड़े रियल एस्टेट समूह से लेकर छोटे बिल्डर तक इसमें शामिल हैं। लोगों को झांसा दिया जा रहा है कि अनुमति आने पर रेट डबल हो जाएगा। पड़ताल में खुलासा हुआ कि डायरी-पर्ची पर ही हजारों करोड़ से ज्यादा की संपत्ति शहर व आसपास के इलाके में बेच दी गई है।
गृह निर्माण संस्थाओं के दौर में भी इसी तरह लोगों ने डायरी-पर्चियों पर प्लॉट खरीदे थे और अभी तक हजारों लोग जीवनभर की पूंजी गंवाने के बाद भी अपनी जमीन से वंचित हैं। इस तरह का कारोबार अभी सबसे ज्यादा नैनोद, कनाड़िया, सुपर कॉरिडोर से एक से तीन किमी के एरिया में और बायपास के साथ राऊ से महू के बीच की कॉलोनियों में हो रहा है। एक्सपर्ट का कहना है कि यदि बाद में प्रोजेक्ट मंजूर नहीं हुआ तो शहर में फिर लोग डायरी व पर्चियां लेकर भटकते नजर आएंगे।
डायरियों पर ऐसे दर्ज हो रहे प्लॉट के सौदे
सोसायटी के नाम पर भी ऐसी ही डायरी-पर्चियां चली थीं, खामियाजा लोग अब तक भुगत रहे।
कॉलोनाइजर खुद दस्तखत भी नहीं कर रहे
बिल्डर के खुद के नाम खराब नहीं हो और आगे चलकर कॉलोनी में किसी तरह की समस्या आने पर वे न उलझे इसके लिए ज्यादातर डायरियों पर खुद दस्तखत भी नहीं कर रहे। उनके यहां काम करने वाले कर्मचारियों को आगे कर दे रहे हैं। डायरियों पर खरीदार के साथ ही कर्मचारियों के साइन, यानी दिक्कत आई तो कर्मचारी ही उलझेगा। डायरियों के सौदे की वैधानिकता नहीं होने से खुद खरीदार भी कोई शिकायत नहीं कर सकेगा।
ये हकीकत – DMIC के लिए आरक्षित जमीन की चौड़ाई बढ़ती, उससे पहले बांटी मंजूरियां
एयरपोर्ट सेे नैनोद में धड़ल्ले से कॉलोनियां कट रही हैं, जबकि DMIC (दिल्ली मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर) का हिस्सा नैनोद से गुजरेगा। डीएमआईसी के प्रस्ताव के मुताबिक 75 मीटर सड़क तथा दोनों तरफ 300 मीटर जमीन आरक्षित की गई थी। टीएंडसीपी ने इसी हिसाब से रियल एस्टेट प्रोजेक्ट मंजूर किए। अब एमपीआईडीसी ने दोनों ओर 500-500 मीटर का प्रोजेक्ट सरकार को भेजा है। यानी प्रोजेक्ट उलझ सकते हैं।
एक्सपर्ट व्यू : 10 गुना तक पेनल्टी का प्रावधान है – प्रमोद द्विवेदी, (एडवोकेट, रजिस्ट्री मामलों के जानकार)
सौदा-चिट्ठी, डायरी, नोटरी पर जमीन खरीदना घातक है। ऐसा करने पर स्टाम्प एक्ट की धारा 48- ख में जब्ती से 10 गुना तक पेनल्टी का प्रावधान है। इस प्रकार से खरीदी करने वालों को बाद में लोगों को अधिकारियों से लेकर कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने पड़ सकते हैं। चिट्ठी, डायरी पर खरीदने वाले की यदि मृत्यु हो जाए तो उसके वारिस के अधिकार सुरक्षित नहीं रहते।
रजिस्ट्री नहीं होने पर दावा कमजोर पड़ जाता है। बेचवाल के मुकरने, धोखा देने, भाग जाने, दिवालिया होने या मृत्यु होने पर भी नुकसान का खतरा बना रहेगा। यानी खरीदार का हित रजिस्ट्रेशन से ही सुरक्षित है। जमीन का सौदा अनुबंध लेख 2013 के तहत प्रॉपर्टी के कुल मूल्य का 1% पंजीयन शुल्क एवं 1000 का स्टाम्प पर पंजीयन कराए गए पेपर ही भविष्य की सुरक्षा दे सकते हैं।