इस साल नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के खरीदार सेब खरीदने हिमाचल नहीं आ रहे। इसके चलते रेड गोल्डन सेब के दामों में गिरावट की आशंका है। आयात शुल्क में बढ़ोतरी और हिमाचल की मंडियों में पेटी में अधिकतम 24 किलो सेब की शर्त लागू होने के बाद खरीदार हिमाचल आने से परहेज कर रहे हैं। नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के खरीदार अधिकतर रेड गोल्डन सेब खरीदते हैं। खासतौर पर 6 और 7 तहों वाली पेटी के लिए दिलचस्पी दिखाते हैं। इन देशों में छोटे आकार के सेब की अधिक डिमांड रहती है। रेड गोल्डन किस्म के बढ़िया क्वालिटी के सेब की भी इनके पास मांग रहती है। जिससे मंडियों में सेब को अच्छे दाम मिलते हैं।
नेपाल ने सेब पर आयात शुल्क बढ़ा दिया है। पहले एक ट्रक सेब पर जहां करीब 50 हजार टैक्स का खर्चा आता था, अब बढ़कर डेढ़ लाख हो गया है। कालका-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग की बदहाल स्थिति के कारण मल्टीएक्सल ट्रकों को प्रवेश नहीं मिलने से ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा बढ़ना भी इसका कारण माना जा रहा है। इसके अलावा इस साल हिमाचल में सेब की फसल कम है जिसके चलते नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के खरीदार चंडीगढ़ और दिल्ली से ही सेब खरीद रहे हैं और आने वाले दिनों में कश्मीर के सेब की खरीद करेंगे। बीते साल तक जुलाई माह के अंत तक इन देशों के सौ से अधिक खरीदार मंडियों में पहुंच जाते थे लेकिन इस साल एक भी खरीदार नहीं आया है।
10 अगस्त के बाद खरीदारों के आने की उम्मीद : हेमिस
कृषि विपणन बोर्ड के प्रबंध निदेशक हेमिस नेगी ने बताया कि नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से खरीदार अभी नहीं आएं हैं, उम्मीद है कि 10 अगस्त के बाद पहुंच जाएंगे। इन देशों के खरीदार छोटे आकार का सेब अधिक खरीदते हैं। अभी छोटा सेब कम मात्रा में मंडियों में पहुंच रहा है।
इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ने और 24 किलो की शर्त समस्या : आढ़ती
हिमाचल प्रदेश आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष हरीश ठाकुर और सलाहकार नाहर सिंह चौधरी ने बताया कि इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ने और 24 किलो की शर्त लगने से नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के खरीदार हिमाचल न आकर चंडीगढ़ और दिल्ली में सेब खरीद कर रहे हैं। खरीदारों के न आने से रेड गोल्डन की कीमतों पर असर पड़ सकता है। बागवान भी बाहरी राज्यों की मंडियों में अपना सेब भेज रहे हैं।