इंदौर में आयोजित जी 20 समिट के आखिरी दिन तैयार फाइनल ड्राफ्ट में यूक्रेन पर रूस के हमले की कड़ी निंदा की। जी 20 समिट में शामिल होने आए सभी देशों के प्रतिनिधियों ने कहा कि इस युद्द ने मानवता को भयावह पीड़ा दी और इसके भविष्य में लंबे समय तक दुष्परिणाम देखे जाएंगे। इंदौर में आयोजित समिट का विषय था श्रम और रोजगार।
क्या बोले समिट में शामिल देश
यूक्रेन में युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। सभी देशों ने यूक्रेन पर रूस के हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यूक्रेन से बिना शर्त रूसी सेनाओं की वापसी होना चाहिए। अधिकांश सदस्यों ने दृढ़ता से यह बता रखी कि युद्ध से भारी मानवीय पीड़ा हो रही है और वैश्विक अर्थव्यवस्था कमजोर हो रही है। इससे विकास में बाधा हो रही है और ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा के संकट पैदा हो रहे हैं। इन वजहों से वित्तीय अस्थिरता के जोखिम भी बढ़ रहे हैं। सदस्यों ने यह भी माना कि हो सकता है यह सही मंच नहीं हो लेकिन इस पर बात करना जरूरी है क्योंकि इसकी वजह से दुनिया की अर्थव्यवस्था पर खतरा आया है।
परमाणु हमले की धमकी अस्वीकार्य है, संघर्षों का समाधान शांति से ही निकले
सदस्य देशों ने यह भी कहा कि अंतर्राष्ट्रीय कानून और सुरक्षा प्रदान करने वाली बहुपक्षीय प्रणाली को बनाए रखना आवश्यक है। शांति और स्थिरता जरूरी है। सशस्त्र संघर्षों में नागरिकों और बुनियादी ढांचे की सुरक्षा हम सभी के लिए प्राथमिकता होना चाहिए। वहीं यह भी कहा कि परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी अस्वीकार्य है। संघर्षों का शांतिपूर्ण समाधान निकाला जाना चाहिए। आज हम सभी को यह प्रयास करना चाहिए कि कहीं भी युद्ध न हो।
इसके साथ ही इसमें आए सभी देशों के प्रतिनिधियों ने कुछ अन्य बिंदुओं पर भी अपनी सहमति दी। इन बिंदुओं पर अब जी 20 के सभी देश मिलकर काम करेंगे-
- ग्लोबल स्किल गैप
इसमें बताया गया कि डिजिटलीकरण, वैश्वीकरण, जलवायु परिवर्तन की तीव्र गति और जनसांख्यिकीय बदलावों ने ग्लोबल स्किल गैप (वैश्विक कौशल अंतराल) को बढ़ा दिया है। इसकी वजह से प्रतिभाओं के विकास में रुकावट आ रही है और आर्थिक विकास दर और उत्पादकता भी प्रभावित हो रही है। इसमें तय किया गया कि सभी देश पता करेंगे कि किन वजहों से ग्लोबल स्किल गैप आ रहा है और इसे किस तरह से दूर किया जा सकता है। - श्रमिकों के लिए पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा और सभ्य कामकाजी परिस्थितियां
पिछले अध्ययनों से पता चलता है कि कई मंचों पर श्रमिकों को पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा नहीं मिल रही है। उनके बेहतर गुणवत्ता के लिए सामाजिक सुरक्षा को सुधारना जरूरी है। उन्हें स्वास्थ्य सेवाएं, आय सुरक्षा देना हैं जो उन्हें जीवन के हर मोड़ पर काम आएं।