नकली और खराब गुणवत्ता वाली दवाओं पर रोक लगाने के लिए सरकार ने लाइसेंस प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए एक ऐसी डिजिटल नियामक प्रणाली बनाई है, जिसके जरिये दवा, सौंदर्य प्रसाधन और चिकित्सा उपकरणों को बिक्री व उत्पादन का ऑनलाइन लाइसेंस मिलेगा।
इसका एक लाभ यह होगा कि निजी कंपनियों को समय पर सभी सरकारी अनुमति मिल जाएगी। साथ ही, प्रत्येक राज्य की गतिविधियों पर केंद्र की निगरानी रहेगी। इसके अलावा, भारत में कौन सी और कितनी दवाओं की खपत किस क्षेत्र में हो रही है, इसका पूरा डाटा भी तैयार होगा। यही वजह है कि इस डिजिटल प्रणाली से राज्यों के अलावा देश के शीर्ष अनुसंधान केंद्रों को भी जोड़ा जाएगा, जिनमें से एक नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) है। केंद्र सरकार का यह फैसला करीब पांच महीने पहले हैदराबाद में हुए चिंतन शिविर में राज्य सरकारों के साथ लिया गया, जिस पर अब केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने डिजिटल नियामक प्रणाली बनाई है।
एक ही लॉगइन आईडी
राष्ट्रीय सूचना केंद्र की मदद से सीडीएससीओ ने ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफार्म तैयार किया है। यह एक सिंगल विंडो तर्ज पर काम करेगा। यानी एक ही लॉगइन आईडी के जरिये लाइसेंस से लेकर अन्य सभी तरह के कार्य संभव हो पाएंगे। यह पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन ही रहेगी।
निगरानी रखना होगा आसान
देश के औषधि नियंत्रक डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी ने पत्र में लिखा है कि दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की गुणवत्ता को देखते हुए सरकार डिजिटल नियामक प्रणाली विकसित करने जा रही है। इसके जरिये सभी राज्य एक प्लेटफॉर्म पर होंगे, जहां उत्पादन, आपूर्ति, पैकेजिंग और निगरानी पर काम किया जा सकेगा। इसी मंच पर भारतीय बाजार में बिकने वाली दवाओं का पूरा डाटा उपलब्ध होगा। इस मंच के जरिये खराब गुणवत्ता वाली दवाओं की निगरानी रखना आसान होगा। इनकी जांच, बाजार में स्टॉक और लोगों को चेतावनी सभी इस मंच के जरिये आसान होंगी।
प्रेग्नेंसी टेस्ट जैसी आसान होगी सिकल सेल की पहचान
प्रेगनेंसी टेस्ट की तरह अब महज 10 मिनट में सिकल सेल रोग की पहचान संभव होगी। महाराष्ट्र की वोक्सटूर बायो कंपनी ने स्वदेशी टेस्ट किट तैयार की है, जिसे नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के परीक्षण में 100 फीसदी असरदार पाया गया है। जानकारी के मुताबिक, आईसीएमआर की रिपोर्ट के बाद सरकार राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन के तहत इस जांच किट को उन ग्रामीण क्षेत्रों तक उपलब्ध कराएगी, जहां सिकल सेल की आशंका सबसे अधिक है।