मध्य प्रदेश में पटवारी भर्ती में ऐसे लोग भी टॉप कर गए हैं, जिन्हें यह तक नहीं पता कि राज्य में जिले कितने हैं? या किस संभाग में कौन से जिले आते हैं. परीक्षा की थर्ड टॉपर पूनम राजावत से ये सवाल पूछ गए, जिसके जवाब उन्हें नहीं पता थे. जानकारी के अनुसार, पूनम भी NRI कॉलेज सेंटर में एग्जाम देने गई थीं, जो बीजेपी विधायक का कॉलेज है. टॉप 10 में से सात कैंडिडेट्स का सेंटर यही था.
दरअसल, ग्वालियर के एनआरआई कॉलेज में सात उम्मीदवार थे, जो टॉप 10 में शामिल हैं. यही वजह है कि कॉलेज पर धांधली के आरोप लग रहे हैं. सीएम शिवराज सिंह चौहान पहले ही इस रिजल्ट के आधार पर भर्ती न होने का एलान कर चुके हैं. नौकरी ने मिलने की वजह से करीब एक हजार उम्मीदवार सोमवार को भोपाल के नीलम पार्क में इकट्ठा हुए थे औऱ 15 अगस्त को नियुक्ति देने की मांग की थी. उम्मीदवारों की मांग है कि इस मामले में जांच होने दीजिए, लेकिन साइड में नियुक्ति भी होने दीजिए. क्योंकि सेंटर उन्होंने अपनी मर्जी से नहीं चुना था, बल्कि उन्हें मिला था. उम्मीदवारों का कहना है कि इसमें उनकी गलती नहीं है.
रिकॉर्ड से हुई पुष्टि- एक परीक्षा में विकलांग अगले में फिट
रिपोर्ट के अनुसार, एक टॉपर समेत कई कैंडिडेट्स भी शक के घेरे में हैं. संयुक्त भर्ती परीक्षा-2023 में इन लोगों ने खुद को दिव्यांग श्रेणी में बताया था, लेकिन तीन महीने बाद जब वन रक्षक और जेल प्रहरी परीक्षा हुई तो यही उम्मीदवार उस एग्जाम में फिट हो गए. क्योंकि इस परीक्षा में विकलांगों के लिए कोटा नहीं होता. जबकि दोनों ही भर्ती परीक्षा के फॉर्म एक ही समय में भरे गए थे. इस बात की पुष्टि रजिस्टर्ड रिकॉर्ड से हुई है.
इस धांधली में टॉपर्स का भी नाम शामिल
रिकॉर्ड से कुछ उम्मीदवारों के नाम भी उजागर हुए हैं. इमें मुकेश गुर्जर हैं, जो पटवारी भर्ती में विकलांग, लेकिन वन रक्षक की भर्ती परीक्षा में फिट कैटेगरी में थे. वहीं, आकाश शर्मा भी एक कैंडिडेट हैं जो पटवारी एग्जाम में विकलांग श्रेणी में थे, लेकिन वनरक्षक परीक्षा में फिट. आकाश शर्मा पटवारी भर्ती के आठवें टॉपर हैं.
पटवारी भर्ती की उम्मीदवार का फेक वीडियो हुआ था वायरल
फिजिकल फिटनेस को लेकर धांधली और आसान सवालों का जवाब भी न आना कुछ चीजें हैं जो इस परीक्षा के उम्मीदवारों में पाई गई हैं. इसके अलावा, एक टॉपर का वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें एक लड़की यह कहती दिख रही थी कि पटवारी बनने के लिए 15 लाख रुपये देने पड़े तो क्या गलत है? हालांकि, जांच में यह वीडियो फर्जी पाया गया था और असल टॉपर का कहना था कि वह इस वीडियो में नहीं है.