विपक्षी दलों की बेंगलुरु में होने वाली बैठक के साथ ही बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए ने भी दिल्ली में बैठक बुलाई है. मंगलवार 18 जुलाई को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने अपने सहयोगी दलों को बैठक में शामिल होने का न्योता दिया है. इन दोनों बैठकों को एक तरह का शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है. जिसमें ये बताया जाएगा कि किसके साथ कितने क्षेत्रीय दल हैं और आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए किसका पलड़ा भारी है.
कई नए दल भी हो सकते हैं शामिल
बताया जा रहा है कि एनडीए की बैठक में कई मौजूदा और बीजेपी के नए सहयोगियों की मौजूदगी देखने को मिलेगी, क्योंकि सत्तारूढ़ दल बीजेपी ने नए गठबंधन बनाने और गठबंधन छोड़कर गए लोगों को वापस लाने के लिए काफी काम किया है. बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोमवार (17 जुलाई) को बताया कि बैठक में 38 पार्टी शामिल होगी.
सूत्रों के मुताबिक एनडीए की इस बैठक में सभी क्षेत्रों के प्रतिनिधि शामिल होंगे और विपक्षी आलोचना के बीच एनडीए की ताकत का प्रदर्शन किया जाएगा. विपक्ष लगातार बीजेपी पर आरोप लगाता आया है कि वो अपने सहयोगियों को साथ लेने में असमर्थ रही है. ऐसे में बीजेपी के लिए सभी सहयोगी दलों को एक मंच पर लाना बड़ी चुनौती होगी.
पुराने रिश्ते टूटने के बाद बीजेपी के नए दोस्त
बिहार में जनता दल (यूनाइटेड), महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अकाली दल जैसे अपने कई पुराने सहयोगियों को खोने के बाद, बीजेपी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ गठबंधन करने में सफल रही है, जिसे अब असली शिवसेना माना जाता है. उधर एनसीपी का अजित पवार के नेतृत्व वाला गुट, उत्तर प्रदेश में ओपी राजभर के नेतृत्व वाली एसबीएसपी और जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली हिदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) और उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व वाली आरएलएसपी को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की तरफ से न्योता दिया गया है.
शक्ति प्रदर्शन वाली इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहेंगे. तमिलनाडु की एआईएडीएमके और आंध्र प्रदेश की पवन कल्याण की जन सेना जैसी पार्टियां उन अन्य पार्टियों में शामिल हैं जो बैठक में मौजूद रहेंगी, इसके अलावा पूर्वोत्तर राज्यों और देश के अन्य हिस्सों से भी कई पार्टियां इस बैठक में मौजूद रहेंगी. पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल में ये पहली ऐसी बैठक है, जिसमें तमाम नेता शामिल हो रहे हैं.
क्षेत्रीय दलों से ताकत बढ़ाने की कोशिश
क्षेत्रीय दलों का किसी भी चुनाव में काफी अहम योगदान होता है. इसीलिए ये उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में कई सीटों पर चुनाव में संतुलन बनाने में महत्वपूर्ण हो सकते हैं. बीजेपी लगातार तीसरी बार लोकसभा में अपना बहुमत बरकरार रखने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है. महाराष्ट्र में विपक्ष को पूरी तरह से धराशायी करने का भी काम हो चुका है, जिसे बीजेपी की एक बड़ी रणनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है.
कुशवाहा ने अटकलों को दिया विराम
उपेंद्र कुशवाहा को लेकर कहा जा रहा था कि वो एनडीए की बैठक में शामिल नहीं होंगे, इसी बीच उन्होंने ऐसी तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा है कि कुछ लोग अनावश्यक भ्रम न फैलाएं. कल एनडीए की बैठक में मैं शामिल रहूंगा. इसके लिए निमंत्रण कल ही मिल चुका है. उधर चिराग पासवान की गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात हुई है, जिसके बाद कहा जा रहा है कि वो भी एनडीए बैठक का हिस्सा होंगे. एनसीपी के अजित पवार धड़े के सांसद प्रफुल्ल पटेल ने भी साफ किया है कि वो अजित पवार के साथ दिल्ली की बैठक में मौजूद रहेंगे.
कांग्रेस ने साधा निशाना
वहीं कांग्रेस की तरफ से विपक्षी दलों की बैठक से ठीक पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई, जिसमें एनडीए की बैठक को लेकर निशाना साधा गया. कांग्रेस ने कहा कि विपक्षी एकता भारतीय राजनीतिक परिदृश्य के लिए गेम चेंजर होगी. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि जो लोग अकेले विपक्षी दलों को हराने की बात करते थे, वो अब लगभग खत्म हो चुके एनडीए में नई जान फूंकने की प्रयास कर रहे हैं. कांग्रेस ने बताया कि कुल 26 विपक्षी दल बैठक में बीजेपी के खिलाफ एकजुट होकर आए हैं.