नई दिल्ली: UCC यानी समान नागरिक संहिता को लेकर भारत में चर्चाएं जारी हैं। इसी बीच एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि भारत की अधिकांश मुस्लिम महिलाएं शादी, तलाक जैसी प्रक्रियाओं के लिए एक ही कानून का समर्थन कर रही हैं। खास बात है कि अगर भारत में यूसीसी लागू होता है, तो यह मौजूदा पर्सनल लॉ की जगह ले लेगा। हालांकि, यूसीसी कब तक लागू होगा? इसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है।
कैसा था सर्वे
सर्वे में 18 से 65 साल और उससे ऊपर की महिलाओं के भी शामिल किया गया था। 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में न्यूज18 की तरफ से किए गए इस सर्वे में 8 हजार 35 मुस्लिम महिलाओं से बातचीत की गई थी। खास बात है कि महिलाओं के सामने UCC का जिक्र नहीं किया गया था और सिर्फ एक समान कानून को लेकर सवाल पूछा गया था। इस दौरान अशिक्षित से लेकर पीजी तक की कई महिलाएं बातचीत का हिस्सा बनीं।
सर्वे में क्या
सवाल पूछे गए कि क्या वे शादी, तलाक, गोद लेने और विरासत जैसी प्रक्रियाओं में सभी भारतीयों के लिए एक जैसे कानून का समर्थन करती हैं। इसपर सर्वे में शामिल हुईं 5 हजार 403 महिलाओं यानी 67.2 फीसदी ने हामी भरी। हीं, 25.4 फीसदी यानी करीब 2039 महिलाओं ने इससे इनकार किया था। महज 593 महिलाएं ऐसी थीं, जो इस बारे में कोई राय नहीं रखती थीं।
क्या सोचती हैं शिक्षित मुस्लिम महिलाएं
रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षित वर्ग (ग्रेजुएट) में देखें, तो 68.4 यानी 2076 महिलाएं एक समान कानून के पक्ष में थीं। जबकि, 820 इससे इनकार कर रही थीं और 137 की कोई राय नहीं थी। सर्वे में 10.8 फीसदी महिलाएं पीजी, 27 फीसदी ग्रेजुएंट्स, 20.8 फईसदी 12+, 13.8 फीसदी 10+, 12.9 फीसदी कक्षा 5-10 के बीच, 4.4 फीसदी 5वीं तक पढ़ीं थीं।
सुन्नी और शिया
सर्वे के अनुसार, जवाब देने वाली महिलाओं में कुल 73.1 फीसदी सुन्नी, 13.3 फीसदी शिया, 13.6 फीसदी अन्य थीं। खास बात है कि 18-24 आयु वर्ग की 18.8 महिलाएं थीं। वहीं, 25-34 की उम्र की 32.9 फीसदी, 35-44 की 26.6 फीसदी, 45-54 की 14.4 फीसदी, 55-64 की 5.4 फीसदी और 65 से ज्यादा आयु की 1.9 प्रतिशत महिलाएं थीं।
इनमें 70.3 फीसदी शादीशुदा थीं और 24.1 फीसदी अविवाहित थीं। 2.9 फीसदी विधवा और 2.9 फीसदी का तलाक हो चुका था।