सावन मास में करें रुद्रष्टाध्यायी का पाठ, जानें किस द्रव्य से अभिषेक करने से शिव जी की कृपा मिलेगी

सावन मास शुरू होते ही पूरा माहौल शिव भक्ति में पूर्ण हो जाता है. भगवान शिव को सावन महीना बहुत ही प्रिये है इसलिए इस मास में प्रायः सभी हिन्दू परिवार में भगवान शिव का पूजन किया जाता है.

जानें सावन में किये जाने वाले ऐसे ज्योतिषीय उपायों के बारे में जो थोड़ा कठिन है लेकिन इसके प्रभाव से सभी कष्ट दूर होते हैं. सावन मास में रूद्र पाठ करने का विशेष लाभ है. आशुतोष भगवान सदा शिव की उपासना में रुद्राष्टाध्यायी का विशेष महत्व है .शिव पुराण के अनुसार सनकादि ऋषियों के पूछने पर स्वयं महादेव ने रुद्राष्टाध्यायीके मंत्रों तथा अभिषेक का महत्व बताया है मन ,कर्म तथा वाणी से परम पवित्र तथा सभी प्रकार से अशक्ति से रहित होकर भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए रुद्राभिषेक करना चाहिए इससे भगवान शिव की कृपा से सभी कामनाओं की पूर्ति होती है. सावन में रुद्राष्टाध्यायी के द्वारा रुद्राभिषेक करने से मनुष्यों के सभी कष्ट दूर होते हैं. यह पाठ वेद्सम्मित है, परम पवित्र तथा धन, यस और आयु की विद्धि करनेवाला है. जानें रुद्राष्टाध्यायी के पाठ के दौरान अभिषेक में किये जाने वाले द्रव का नाम तथा उसका प्रभाव क्या है…

Sawan 2023: मनोकामना पूर्ति के लिए इन चीजों से करें रुद्राभिषेक

रुद्राभिषेक में प्रयुक्त होनेवाले प्रशस्त द्रव्य अपने कल्याण के लिए भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए निष्काम भाव से रुद्राभिषेक करना चाहिए इनका अनंत फल है. शास्त्र में अलग -अलग कामनाओं की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक में अनेक प्रकार के द्रव्य का नियम है :

जल से अभिषेक करने पर वृष्टि होती है.

व्याधि की शांति के लिए कुशोदक से अभिषेक करना चाहिए.

पशु की प्राप्ति के लिए दही से अभिषेक करना चाहिए.

लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से तथा धन प्राप्ति के लिए मधु से अभिषेक करें.

मोक्ष की प्राप्ति के लिए तीर्थ के जल से अभिषेक करें.

दूध के द्वारा अभिषेक करने से संतान की प्राप्ति होती है.

काकबन्ध्या ( एक संतान उत्पन करने वाली )अथवा जिनकी संतान उत्पन होते ही मर जाये या मृत संतान उत्पन करे उसे गाय के दूध से अभिषेक करने से जल्द संतान प्राप्त करती है.

जल की धारा भगवान शिव को अति प्रिय है अतः तेज बुखार हो गया हो उसको शांत करने के लिए जलधारा से अभिषेक करें.

जो लोग गलत प्रेम प्रसंग में पड़ गये हों उसका प्रेम खत्म करने के लिए यानि दूध की धारा से अभिषेक करने से प्रेम प्रसंग समाप्त होते हैं.

भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए निष्काम भाव से रूद्रपाठ करना चाहिए जो बहुत ही फलित होता है.

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