सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां फायदा कमाने के लिए नहीं होती। अगर सरकार यह कहती है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां घाटे में हैं और उनके बदले निजी कंपनियों को लाना चाहिए तो इससे देश का ही नुकसान होगा। निजी कंपनियां उन सेवाओं को महंगे दामों में बेचेंगी जो जनता के लिए अति आवश्यक है। उदाहरण के लिए बिजली एक ऐसा क्षेत्र है जहां पर निजीकरण यह दिखाता है कि आप जनता के ऊपर ही आर्थिक बोझ डालना चाहते हैं। बिजली एक अति आवश्यक सुविधा है जिसे जनता को न्यूनतम दरों पर देना चाहिए और निजी क्षेत्र की कंपनियां यह कभी भी नहीं कर सकती। यह बातें वामपंथी विचारक अशोक राव ने अभ्यास मंडल व्याख्यानमाला में कहीं। उन्होंने सार्वजनिक स्वामित्व वाली कंपनियों के निजीकरण के खतरे और प्रभाव विषय पर अपने विचार रखे।
सरकारी अस्पताल और स्कूल बंद कर निजी क्षेत्र के खिलाड़ियों को सौंप दिए गए
अशोक राव ने कहा कि आज देश के 90% लोग ₹25000 से कम सैलरी पर जीवन जी रहे हैं और इसी देश में दुनिया का तीसरा सबसे अमीर व्यापारी मौजूद है। यह दिखाता है कि देश में कितनी बड़ी आर्थिक असमानता है। अशोक राव ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य अति आवश्यक सुविधा है जिसमें आज निजीकरण पूरी तरह से हावी है। सरकारी स्कूलों और सरकारी अस्पतालों की हालत किसी से भी छुपी नहीं है। देश की जनता को बुनियादी स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं है।
जनता बड़े आर्थिक बोझ झेल रही
अभ्यास मंडल के सदस्यों के सवालों के जवाब देते हुए अशोक राव ने कहा की पोस्ट ऑफिस, एयरपोर्ट, बीएसएनएल जैसी कंपनियां बर्बाद होने का अर्थ है की जनता को मिलने वाली मूलभूत सुविधाएं खत्म होती जा रही हैं। पहले 50 पैसे में जो पोस्ट मुंबई से दिल्ली चली जाती थी वह आज ₹20 के कोरियर से भेजना पड़ती है। यह दिखाता है कि निजीकरण से जनता को कितने नुकसान हुए।