इंदौर। राज्य सरकार ने चौंकाने वाले तबादला आदेश में मनीष सिंह को आयुक्त जनसंपर्क बना दिया है।उनके वर्तमान पद पर नवनीत कोठारी एमडी एमपीआईडीसी पदस्थ किए गए हैं।इंदौर को नंबर वन का तमगा दिलाने वाले मनीष सिंह को ऐन चुनाव से पहले सरकार की योजनाओं का और बेहतर प्रचार कर शिवराज सरकार को भी बाकी राज्यों के मुकाबले फनंबर वन बनाने का टॉस्क मिला है।
सीपीआर राघवेंद्र सिंह को प्रमुख सचिव खनिज निगम का दायित्व दिया है। ऐसा नहीं कि राघवेंद्र सिंह खरे साबित नहीं हुए, उन्हें खनिज निगम का दायित्व सौंप कर सरकार उन आरोपों और मनमानी को भी सख्ती से दबाना चाहती है कि खनिज माफिया बेलगाम हो चुके हैं, विभाग की सख्ती नहीं है।
मनीष सिंह को आयुक्त जनसंपर्क बनाने से एक बार फिर मुहर लगी है कि यह पद उन आईएएस को सौंपना सरकार को अधिक बेहतर लगता है जो पहले इंदौर कलेक्टर रहे हों-भागीरथ प्रसाद मनोज श्रीवास्तव, विवेक अग्रवाल, सुधिरंजन मोहंती, गोपालरेड्डी,पी नरहरि ये सब हाल के दो-तीन दशक के वो आईएस हैं जो इंदौर कलेक्टर रहने के बाद सीपीआर भी रहे हैं। मनीष सिंह आयुक्त जनसंपर्क और इस विभाग के सचिव विवेक पोरवाल पदस्थ किए गए हैं।
चुनावी साल में मनीष सिंह के लिए सीपीआर की कुर्सी न तो चुनौतीपूर्ण है और न ही उन्हें दहाड़ना पड़ेगा। इंदौर की प्रेस हो या प्रदेश का मीडिया, संबंधों को जीवंत रखना और मीडिया की परेशानियों का हल निकालने जैसी खासियतें ही रही कि जब कलेक्टर इंदौर के रूप में इलैया राजा टी को पदस्थ किया गया तभी माना जा रहा था कि सीपीआर की कुर्सी उनका इंतजार कर रही है।
निर्णय कुछ विलंब से हुआ तो उसकी वजह यह भी रही होगी कि सरकार उनकी काबिलियत का उपयोग पहले मेट्रो के काम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए करना चाहती थी। चुनाव से पहले कुछ डिब्बे कुछ स्टेशन तक तो ट्रायल रन में दौड़ते नजर आ ही जाएंगे, उनकी कामयाबी में यह भी सरकार के सपने को टाइम लिमिट में पूरा करना माना जाएगा। अब उनके जिम्मे सरकार की छवि और उसकी योजनाओं को चुनाव से पहले जीत की पटरियों पर दौड़ाने का काम है, हर विभाग में सफलता का पर्याय रहे मनीष सिंह यहां भी असफल तो नहीं होंगे।