NDPS यानी नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट। इससे जुड़े के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी व्यक्ति को जमानत दे दी। जमानत इस आधार पर दी कि NDPS एक्ट, 1985 के तहत “गांजा” की परिभाषा में गांजे के बीज शामिल नहीं हैं। यानी इस कानून के तहत गांजे के बीज प्रतिबंधित नहीं हैं। गांजे के बीज की आपूर्ति करने के मामले में याचिकाकर्ता पर केस हुआ था। पुलिस गिरफ्तार की थी। जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस मनोज मिश्रा की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई की। बेंच ने कहा, सबूतों से पता चलता है कि याचिकाकर्ता ने खेती के लिए गांजे के बीज की आपूर्ति की थी। NDPS एक्ट में गांजा की परिभाषा के तहत गांजे के बीज प्रतिबंधित नहीं है। ऐसा कोई भी आरोप नहीं कि याचिकाकर्ता ने खेती के बाद उगाए गए गांजे को वापस पाने के इरादे से बीज की आपूर्ति की थी।
NDPS एक्ट के तहत “गांजा” की परिभाषा क्या है? वो भी जान लीजिए। परिभाषा में कहा गया है, “गांजा, कैनाबिस पौधे का फूल या फल वाला ऊपरी हिस्सा है। इसमें बीज और पत्तियां शामिल नहीं हैं। बता दें, गुजरात हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया था। हाईकोर्ट ने फैसले के खिलाफ उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिकाकर्ताओं की ओर से एडवोकेट सोमेश चंद्र झा पेश हुए। उन्होंने तर्क दिया कि ये मामला गांजे के बीज से संबंधित है जो एनडीपीएस अधिनियम के दायरे में नहीं आएगा।
आगे कहा कि कि NDPS एक्ट के तहत “गांजा” की परिभाषा में गांजे के बीज शामिल नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने वकील की दलीलें सुनीं। इस तथ्य पर ध्यान दिया कि आरोपी 20 मई 2022 से जेल में है। और चार्जशीट पहले ही दायर की जा चुकी है। इसके बाद अदालत ने कहा कि सबूतों से पता चलता है कि याचिकाकर्ता ने खेती के लिए गांजा के बीज की आपूर्ति की थी। लेकिन ऐसा कोई भी आरोप नहीं कि याचिकाकर्ता ने खेती के बाद उगाए गए गांजे को वापस पाने के इरादे से बीज की आपूर्ति की थी। इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपी को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।