प्रयागराज : अतीक अपने भाई अशरफ की उंगली पकड़कर उसे जरायम की दुनिया में ले आया था। दोनों की उम्र में दस साल का फासला था, लेकिन जीवन भर दोस्त की तरह रहे।शनिवार की रात जब दोनों को एक साथ गोली मारी गई तो भी उनका हाथ एक ही हथकड़ी से बंधा था। देखने वालों ने यही कहा कि अतीक अपने भाई का हाथ पकड़कर अपने साथ ले गया।
अतीक अपने छोटे भाई को बेटे की तरह मानता था। राजू पाल से हारने के बाद जब अशरफ अतीक के कंधे पर सिर रखकर रोया तो अतीक ने कहा था कि वह उसे विधायक बनवाकर रहेगा। अपने इसी वादे के लिए अतीक ने 2005 में राजू पाल की हत्या तक करवा दी। यही वादा उसके अंत का कारण भी बन गया।
अतीक और शाइस्ता की शादी 1998 में हुई थी। इससे पहले तक घर में अतीक, पिता फिरोज और भाई अशरफ ही थे। बहनों की शादी हो चुकी थी। ऐसे में अतीक और अशरफ बिल्कुल दोस्त की तरह रहते थे। 90 के दशक में जुर्म की दुनिया में अतीक का एकछत्र राज चलता था। इसी दौरान अशरफ का भी नाम बड़ी तेजी से आगे बढ़ा। सिविल लाइंस की सड़कों पर तेज रफ्तार में गाड़ी चलाना, किसी को भी पीट देना अशरफ का शगल बन गया था। जब अतीक से अशरफ की शिकायत की जाती तो वह कहता, शेर का भाई शेर वाला ही काम करेगा।
धीरे धीरे अशरफ अपने बड़े भाई अतीक की उंगली पकड़कर अपराध की दुनिया में आ गया। उसके खिलाफ भी मुकदमे दर्ज होने लगे। अतीक ने उसे खूब बढ़ावा दिया। अशरफ ने 2004 में एक ऐसी जिद की, जिसने अतीक की तबाही की पटकथा लिख दी। अतीक के सांसद बनने के बाद शहर पश्चिम की सीट खाली हो गई। अशरफ ने विधायक बनने की जिद पकड़ ली। अतीक ने भी उसकी जिद का मान रखा।
अशरफ को सपा से टिकट मिल गया, लेकिन बसपा के राजू पाल ने अशरफ को पटखनी दे दी। हार के बाद अशरफ रो पड़ा। अतीक ने उसके सिर पर हाथ रखकर कहा कि वह उसे विधायक बनवाकर रहेगा। उसने राजू पाल की हत्या करा दी। फिर से चुनाव हुए। अशरफ इस बार शहर पश्चिम का विधायक बन गया। अतीक ने अपना वादा निभाया, लेकिन उसके अंत की शुरुआत इसी के साथ हो गई।
बसपा सरकार बनने के बाद अतीक और अशरफ साथ में ही फरार हुए। हालांकि, दोनों अलग-अलग पकड़े गए थे। 2017 में भाजपा सरकार बनने के बाद अतीक को जेल भेज दिया गया था, लेकिन अशरफ फरार हो गया था। वह 2020 में वह पकड़ा गया। उमेश पाल हत्याकांड में भी अतीक और अशरफ को साथ में नामजद किया गया। पुलिस ने दोनों की कस्टडी रिमांड भी साथ में ली। अतीक और अशरफ जीवन भर एक दूसरे के राजदार बने रहे। 15 अप्रैल को दोनों की जब हत्या की गई, उस समय हथकड़ी में बंधे होेने के कारण दोनों भाइयों के हाथ एक दूसरे से बंधे रहे।