दुर्भाग्य को भी सौभाग्य बनाया जा सकता है, चाणक्य की इन बातों का करे पालन

धर्म-कर्म-आस्था

हर व्यक्ति का स्वभाव उसका व्यक्तित्व अलग होता है.चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को ईश्वर द्वारा दिए गए अपने गुरु का सम्मान करना चाहिए. अपनी प्रतिभा को और बेहतर करने का प्रयास हमेशा करते रहना चाहिए. जो व्यर्थ में समय व्यतीत करते हैं उनकी प्रतिभा निखरने के बजाय नाश हो जाती है.

चाणक्य के अनुसार व्यक्ति का व्यवहार न सिर्फ उसकी पहचान होता है बल्कि उसके परिवार की भी पहचान होती है. जिस प्रकार विद्या का अभ्यास करने से आपकी बौद्धिक क्षमता बढ़ती है उसी तरह अच्छा व्यवहार करने से आपका समाज में मान सम्मान बढ़ता है.

चाणक्य के अनुसार क्रोध व्यक्ति के मन का सबसे बड़ा दुश्मन होता है. जिसने अपने मन के क्रोध को काबू में कर लिया वह विकट से विकट परिस्थिति में भी आसानी से हल ढूंढ लेता है. उनके लिए कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं होता और वे उसे हासिल भी कर लेते हैं.चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति अपने माता पिता बड़े बुजुर्गों का सम्मान करता उन्हें अक्सर कम परेशानियां झेलनी पड़ती है. बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद ना सिर्फ जीवन में प्रगति का कारण बनता है बल्कि आपके दुर्भाग्य को भाग्य में बदल देता है.

चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति आर्थिक तौर पर समर्थ होता है उन्हें दूसरों की मदद जरूर करनी चाहिए.किसी जरूरतमंद व्यक्ति की मदद करने से आपके धन का पिटारा कम नहीं बल्कि और बढ़ता जाएगा. माना जाता है कि ऐसे लोगों के ऊपर माता लक्ष्मी अपनी विशेष कृपा बरसाती हैं.

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