इंदौर में बेलेश्वर महादेव मंदिर में हवन के दौरान बावड़ी में गिरने से हुई 36 लोगों की मौत 47 सालों बाद इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा हादसा है। 1976 में इंदौर में शराबकांड हुआ था। उसमें 112 लोगों की मौत हो गई थी। तब एमवाय अस्पताल के पोस्टमार्टम रूम में जगह कम होने के कारण लाशों की थप्पियां जमाना पड़ी थी। शराबकांड से पहले 21 दिसंबर 1970 को पीपल्यापाला में नौका डूबने से 21 लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे के बाद कई वर्षों तक तालाब में नौका संचालन बंद रहा था।
जहरीली शराब से 20 ने खोई थी आंखें
अक्टूबर 1976 में इंदौर में जहरीली शराब कांड हुआ था। इसमें 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। इसमें सात महिलाएं शामिल थीं। 20 लोगों ने अपनी आंखों की रोशनी खोई थी। ज्यादातर मरने वाले गरीब थे। उस समय भी पूरे शहर में उत्सवी माहौल था। सरकार ने होलकर परिवार से राजवाड़े का अधिग्रहण किया था और इसका समारोह जारी था। इसमें 50 हजार से अधिक लोग जुटे थे। वहीं, लोग सड़कों पर मर रहे थे, लेकिन अधिकारियों ने मामले को दबाने की कोशिश की थी।
सिरफिरे आशिक ने जला दिया था नौ लोगों को
स्वर्णबाग काॅलोनी में डेढ़ साल पहले हुए अग्निकांड में 9 लोगों की मौत हो गई थी। युवक अपनी प्रेमिका से बदला लेना चाहता था और उसने उसके वाहन में आग लगा दी थी। आग ने दूसरे वाहनों को अपनी चपेट में ले लिया और पूरे मकान में धुआं भरने से सात लोग जिंदा जल गए थे। दो लोगों ने बाद में अस्पताल में दम तोड़ा था।
पटाखा कारखाने में हुई थी नौ लोगों की मौत
राऊ के पटाखा कारखाने में भी विस्फोट के कारण नौ लोगों की मौत सात साल पहले हो चुकी है। राऊ के कारखाने में श्रमिक मटकी अनार और रस्सी बम बना रहे थे। तभी बारुद ने आग पकड़ ली और कारखाने में विस्फोट होने से छह लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी। धमाका इतना जोरदार था कि आसपास के 300 मीटर में खड़े वाहनों के शीशे और खिड़कियों के कांच टूट गए थे।
होटल गिरा और दब गए लोग, 10 लोगों की हुई थी मौत
31 मार्च 2018 को सरवटे क्षेत्र में एमएस होटल अचानक धराशाई होने से 10 लोगों की मौत हो गई थी। 9 लोगों के शव मलबे से निकले थे, जबकि एक युवक की मौत अस्पताल में हुई थी। खातीपुरा क्षेत्र में भी मकान गिरने से 6 लोगों की मौत हो चुकी है।