17 साल में 10,298 छात्र और 6,999 बेरोजगारों ने की आत्महत्या, व्यापमं परीक्षा से सरकार ने कमाए करोड़ों

इंदौर मध्यप्रदेश

इंदौर: पूर्व गृहमंत्री बाला बच्चन ने गुरुवार को इंदौर में मीडिया से चर्चा की। उन्होंने सीएम शिवराज सिंह चौहान को कई मुद्दों पर घेरा। उन्होंने कहा कि कहते हैं कि ‘पूत के पांव’ पालने में दिख जाते हैं, मप्र भाजपा सरकार ने सत्ता में आते ही व्यापमं घोटाला प्लॉन किया। इस घोटाले का पहला बड़ा अपराध पीएमटी फर्जीवाड़े से संबंधित था। इसके बाद 13 से अधिक सरकारी नौकरी भर्ती और प्रवेश परीक्षाओं में 75 लाख से अधिक प्रदेश के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया। पुलिस कांस्टेबल, खाद्य निरीक्षण चयन टेस्ट, सूबेदार उपनिरीक्षक व प्लाटून कमांडर, मिल्क फेडरेशन जैसी अनेक भर्ती परीक्षा में घोटाला किया गया।

इतना बड़ा घोटाला किया कि सीबीआई ने भी जांच में असमर्थता बताई
इतना ही नहीं डेंटल और प्राइवेट मेडीकल कॉलेज का भर्ती घोटाला तो व्यापमं से भी बड़ा है। इस घोटाले के संदर्भ में तो स्वयं मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने वर्ष 2006 में विधानसभा में जांच कराने की बात स्वीकारी थी। मगर हजारों युवाओं के भविष्य को बर्बाद करने वाले इस घोटाले पर अब तक पर्दा ही डाल कर रखा गया। यह घोटाला इतना बड़ा है कि स्वयं सीबीआई ने इस घोटाले की व्यापकता को देखते हुए सर्वोच्च अदालत में इसकी जांच में अपनी असमर्थता व्यक्त की थी। बेहद शर्मनाक तथ्य यह है कि व्यवसायिक परीक्षा मंडल ने न सिर्फ युवाओं के भविष्य को लूटा बल्कि बीते 10 साल में उसने इन बेरोजगार युवाओं से 1046 करोड़ रुपए फीस के रूप में वसूल कर 455 करोड़ रुपए का शुद्ध मनाफा भी कमाया। राज्य सरकार ने विधानसभा में जानकारी देते हुए बताया कि बीते सात वर्षों में उसने 106 विभिन्न प्रतियोगी भर्ती परीक्षाओं में 424 करोड़ 36 लाख रुपए 01 करोड़ 24 लाख आवेदकों से वसूली है। अब हाल ही में 10 वीं और 12 वीं की परीक्षाओं के पेपर लीक की सुर्खिया भाजपाई सत्ता को शर्मसार कर रही है।

37 लाख रजिस्टर्ड बेरोजगार
हाल ही में खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया ने विधानसभा में इस बात को स्वीकारा की प्रदेश के रोजगार कार्यालयों में रजिस्टर्ड 37 लाख 80 हजार 679 शिक्षित एवं 1 लाख 12 हजार 470 अशिक्षित बेरोजगार आवेदक रोजगार की बाट जोह रहे हैं और 01 अप्रैल 2020 से अब तक अर्थात बीते तीन वर्षों में मात्र 21 लोगों को शासकीय और अद्र्धशासकीय कार्यालयों में रोजगार उपलब्ध कराया
गया है।

20 से 24 साल के 34.76 प्रतिशत युवाओं को काम नहीं मिल रहा
सेटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमिकी सितंबर से दिसंबर 2022 की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि मप्र में 2 करोड़ 50 लाख 97 हजार लेबर फोर्स है अर्थात काम करने वाले लोग हंै और लेबर पार्टिसिपेशन रेट 38. 18 प्रतिशत है। बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि 15 से 19 वर्ष के 36.95 प्रतिशत युवाओं को प्रदेश में काम नहीं मिल रहा है। 20 से 24 साल के 34.76 प्रतिशत युवाओं को काम नहीं मिल रहा है और 25 से 29 साल के 15 प्रतिशत युवाओं को काम नहीं मिल रहा है। महिलाओं के लिए तो यह स्थिति बेहद चिंताजनक है, 15 से 19 वर्ष की 100 प्रतिशत युवतियों को 100 प्रतिशत काम नहीं मिल रहा है, 20 से 24 वर्ष की युवतियों 82.41 प्रतिशत और 25 से 29 वर्ष की महिलाओं को 12.76 प्रतिशत महिलाओं को काम नहीं मिल रहा है।

पटवारी के 6 हजार पदों पर 12 लाख आवेदन आए
हाल ही में पटवारी भर्ती परीक्षा – 2023 में 6000 पदों के लिए 12 लाख युवाओं ने आवेदन दिए जिसमें 4 लाख से अधिक आवेदक इंजीनियर, एमबीए और पीएचडी परीक्षा उत्तीर्ण हैं। जिसमें से स्नात्तकोत्तर के 01 लाख 80 हजार, एमबीए के 80 हजार, इंजीनियनिंग में बीई और बीटेक के 85 हजार और पीएचडी के 1000 छात्रों ने आवेदन किया है। इसके कुछ वर्ष पहले भी विभिन्न विभागों में चपरासी और चौकीदार बनने के चतुर्थ श्रेणी के 1333 पदों के लिए, जिसकी न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता कक्षा आठवीं पास थी, जिसमें बीटेक, इंजीनियर, एमकॉम, एमएससी और एमए करने वाले पोस्ट ग्रेज्यूट्सों ने आवेदन किया था, 04 लाख से अधिक आए आवेदनों में से 62 हजार से अधिक ग्रेज्यूट थे। छात्रों में बेरोजगारी की निराशा इस हद तक व्याप्त हो गई कि उन्होंने अपने उज्जवल भविष्य का अवसर न देखकर आत्महत्या को गले लगा लिया। भाजपा के बीते 17 सालों के कार्यकाल में 17 हजार 326 छात्रों और बेरोजगारों ने आत्महत्या को गले लगा लिया। इनमें 10298 छात्र और 6999 बेरोजगार हैं।

95 लाख में 70 लाख युवा उच्च शिक्षा से वंचित
मप्र में 18 से 23 वर्ष के लगभग 95 लाख युवा हैं, जिनमें से लगभग 70 लाख युवा उच्च शिक्षा से वंचित हैं वहीं जेंडर पैरेटी इंडेक्स भी पिछले वर्ष जो 1.0 था वह कम होकर 0.98 हो गया है अर्थात उच्च शिक्षा में प्रवेश के लिए लड़कियों की संख्या कम हो गई है। मप्र में प्रति लाख आबादी पर मात्र 29 कॉलेज है, जबकि तमिलनाडू में 40, तेलंगाना में 53, केरला 50, कर्नाटका में 62, आंध्रप्रदेश में 49 कॉलेज प्रति लाख आबादी पर हैं।

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