इंदौर और उज्जैन में हुए दो बड़े राजनीतिक आयोजनों में प्रदेशभर से जनता को लाया गया। जनता को लाने ले जाने के लिए बड़ी संख्या में बसों की जरूरत पड़ी और अधिकारियों ने इसके लिए बस संचालकों से बसें लगाने के लिए कहा। कार्यक्रम होने के चार महीने के बाद भी बस संचालक अपने पैसों के लिए दर दर भटक रहे हैं। संचालकों का कहना है कि अब वे राजनीतिक कार्यक्रमों में बसें नहीं लगाएंगे। उज्जैन में महाकाल लोक के लोकार्पण और इंदौर में शहीद टंट्या मामा के बलिदान दिवस पर हुए कार्यक्रम के लिए इन बस मालिकों ने बसें लगाई थीं।
महाकाल लोक और टंट्या मामा बलिदान दिवस के कार्यक्रम में जुटाई भीड़
उज्जैन में महाकाल लोक के लोकार्पण का कार्यक्रम अक्टूबर 2022 में हुआ था। इसमें पीएम नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहे। इसमें 85 बसें लगाई गई जिसमें से 60 बसें रतलाम और 25 बसें बडऩगर से लोगों को उज्जैन लेकर गई थीं। ठीक इसी तरह दिसंबर 2022 में इंदौर में शहीद टंट्या मामा के बलिदान दिवस पर कार्यक्रम हुआ। इसमें 120 बसें लगाई लेकिन आज तक बस मालिकों को इसका किराया नहीं मिल पाया।
अधिकारियों ने दोनों कार्यक्रमों का पेमेंट एक साथ दिलाने का वादा किया था
बसों का किराया नहीं मिलने पर जिला बस संचालक एसोसिएशन के अध्यक्ष सुबेंद्रसिंह गुर्जर ने कहा कि अक्टूबर में महाकाल लोक के लोकार्पण के कार्यक्रम में बसें लगाई थीं। इसका किराया नहीं मिला था। अधिकारी बोल रहे थे कि जल्द ही किराया आ जाएगा। इसके तुरंत बाद ही दिसंबर में शहीद टंट्या मामा के बलिदान दिवस पर इंदौर में कार्यक्रम हुआ और बसें लगाने के लिए कहा गया। अधिकारियों ने हमसे कहा कि दोनों कार्यक्रमों का भुगतान एक साथ आ जाएगा। अब होली का त्योहार भी निकल गया और चार महीने बीत गए लेकिन हमें पेमेंट नहीं मिला। हम एक विभाग से दूसरे विभाग के चक्कर ही काट रहे हैं।