इंदौर में बोलीं अभिनेत्री महिमा चौधरी, जिंदा हो तो जिंदादिली से जियो….सिर्फ काम करना ही जीवन नहीं

इंदौर मध्यप्रदेश

इंदौर ।  समय बदल गया है। अब कैंसर के मरीज से लोग दूर नहीं भागते, बल्कि वे आपको पसंद करने लगते हैं। उनकी भावनाएं आपके साथ जुड़ जाती हैं। जिन लोगों से आप कभी मिले नहीं, वे भी आपके लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं। कैंसर का इलाज करवाते हुए मैंने यही अनुभव किया है। कैंसर का पूरा इलाज हो सकता है। जरूरत इस बात की है कि समय रहते बीमारी का पता लगा लिया जाए। इलाज के बाद कैंसर के मरीज पूरी तरह से मुख्यधारा में शामिल हो सकते हैं। मैंने खुद इसे अनुभव किया है। जिंदा हो तो जिंदादिली से जियो….सिर्फ काम करना ही जीवन नहीं है। कुछ समय अपने लिए भी निकालें…परिवार के साथ छुट्टियां बिताएं। यह बात कैंसर विजेता और अभिनेत्री महिमा चौधरी ने कही। वे शनिवार को देवास नाका क्षेत्र स्थित सीएचएल अस्पताल 114 में स्थापित लीनियर एक्सेलरेटर के स्थापना कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रही थीं। कार्यक्रम में कैंसर पर जीत हासिल कर चुके मरीजों ने अपने अनुभव साझा किए। इस अवसर पर डायरेक्टर आंकोलाजी, सीनियर सर्जिकल आंकोलाजिस्ट डा.अश्विन रागोले, एचओडी-रेडिएशन आंकोलाजी डा.पीयूष शुक्ला, सीएचएल अस्पताल के सीओओ धनंजय कुमार और एलेक्टा के मैनेजिंग डायरेक्टर भारत और सीनियर वीपी टीआइएमईए और एशिया पसिफिक मणिकंदन बाला भी उपस्थित थे।

मरीज का आत्मबल सबसे बड़ा हथियार

अभिनेत्री चौधरी ने कहा कि वे नियमित जांच करवाती हैं। यही वजह थी कि उन्हें प्राथमिक स्टेज पर ही कैंसर का पता चल गया था। उन्होंने इसका पूरा इलाज लिया और आज वे पूरी तरह से स्वस्थ हैं। उन्होंने कहा कि कैंसर के इलाज में मरीज का आत्मबल सबसे बड़ा हथियार होता है। उपचार के दौरान अस्पताल में भर्ती रहते हुए मेरे दिमाग में मार्टिंना नवातिलोवा और संजय दत्त जैसे लोगों का ख्याल आया, जिन्होंने अपने आत्मसंबल से कैंसर को हराया और सफल रहे। मैंने सोचा जब ये लोग कर सकते हैं तो मैं क्यों नहीं।

भारत में कैंसर से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में से एक है मप्र

कार्यक्रम में डाक्टरों ने बताया कि एक रिपोर्ट के मुताबिक मप्र भारत में कैंसर से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में से एक है। प्रदेश की आठ करोड़ की जनसंख्या में से सिर्फ तीन प्रतिशत यानी सिर्फ 24 लाख को कैंसर रजिस्ट्री में शामिल किया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर 10 लाख की जनसंख्या के लिए एक रेडियोथैरेपी सिस्टम होना चाहिए। भारत में वर्तमान में 10 लाख जनसंख्या के लिए 0.4 आरटी सिस्टम हैं। मप्र में तो यह संख्या 0.3 है। यानी राष्ट्रीय औसत से भी कम। सीएचएल अस्पताल 114 में अत्याधुनिक मशीन स्थापित होने से कैंसर के मरीजों को सुविधा मिलेगी। उन्हें लंबा वेटिंग टाइम कम होगा और मरीज की जान बचने की संभावना बढ़ जाती है।

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