इंदौर में 20 करोड़ रुपये की लागत से नवनिर्मित अन्नपूर्णा मंदिर का लोकार्पण शुक्रवार शाम जूना पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी अवधेशानंद गिरिजी की मौजूदगी में हुआ। फूलों की वर्षा, शंख, शहनाई के बीच मंदिर में विश्वेश्वरानंद गिरी महाराज और अवधेशानंद जी ने मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की।
शहर के प्रसिद्ध अन्नपूर्णा मंदिर परिसर में संगमरमर से तराश कर नया मंदिर बनाया गया है। इस पर 20 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। शुक्रवार को मंदिर फूलों और भगवा पताकाओं से सजा था। हाथी द्वार पर शहनाई वादक अलग-अलग धुन बजा रहे थे। हजारों लोगों की भीड़ मंदिर परिसर में मौजूद थी।
पट खुलते ही उमड़े भक्त
शाम चार बजे अवधेशानंद गिरी महाराज मंदिर पहुंचे और लोकार्पण समारोह शुरू हुआ। प्राण प्रतिष्ठा की रस्में पूर्ण होने के बाद नए मंदिर के पट खुल गए और भक्तों ने माता के दर्शन किए। माता मंदिर के लोकार्पण पर विशेष श्रृंगार किया गया था। लोकार्पण के पहले 108 कलशों से मूर्ति का स्नान किया गया। शुक्रवार सुबह कलश प्रतिष्ठा और ध्वजारोहण हुआ। प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी लोकार्पण समारोह में शामिल हुए।
ये आयोजन होंगे मंदिर में
नए मंदिर में दर्शन के लिए खोले जाने के बाद शनिवार को स्थापित देवों का पूजन होगा। इसके अलावा सप्तशती हवन होगा। सुबह के पूजन में शामिल होने के बाद अवधेशानंद महाराज दिल्ली रवाना हो जाएंगे। उधर, शुक्रवार को भीड़ को देखते हुए अन्नपूर्णा मार्ग पर बार-बार यातायात भी बाधित होता रहा।
81 फीट ऊंचा है मंदिर कलश
परिसर में नए मंदिर का निर्माण 6600 वर्गफीट में किया गया है। तीन साल पहले मंदिर का भूमिपूजन किया गया था। पूर्व में मंदिर में स्थापित मां अन्नपूर्णा, कालका और सरस्वती की मूतियों की प्रतिष्ठा नए मंदिर में की गई। नए मंदिर की लंबाई 108 फीट और चौड़ाई 54 फीट है। मुख्य कलश की ऊंचाई 81 फीट है।
नया मंदिर सफेद मकराना संगमरमर से बनाया गया है और कई मूर्तियां व दीवारों पर भी चित्र बनाए गए हैं। पुराने मंदिर का निर्माण महामंडलेश्वर स्वामी प्रभानंदगिरि महाराज ने वर्ष 1959 में करवाया था। मंदिर का द्वार दक्षिण भारत के मंदिरों की तरह है। नवदुर्गा में मंदिर में भक्तों की भीड़ लगती है। मंदिर के मुख्य द्वार का निर्माण 1975 में किया गया था।