इंदौर: मप्र में महू से ओंकारेश्वर तक चलने वाली मीटरगेज ट्रेन अब इतिहास का हिस्सा बन चुकी है। मंगलवार सुबह 9 बजे ओंकारेश्वर से चली ट्रेन 11:30 बजे महू पहुंची। यात्रियों को उतार कर ट्रेन सीधे डिपो में पहुंच गई। अब यह ट्रेन इस पटरी पर कभी नहीं लौटेगी। इसके साथ ही इस मीटरगेज ट्रेन का 146 साल पुराना सफर खत्म हो गया। इस मौके पर यात्रियों ने ट्रेन का गुड बॉय कहा।
रेलवे ने इंदौर खंडवा मीटरगेज लाइन पर मीटरगेज रेलगाड़ी का संचालन हमेशा के लिए बंद कर दिया है। आज इस ट्रेन के आखिरी सफर ने यात्रियों को भी भावुक कर दिया। इस ट्रेन रोज अपडाउन करने वाले कुछ यात्रियों की पलकें भी नम हो गईं। यात्रियों ने ट्रेन की बोगियों पर विदाई संदेश लिखे। किसी ने लिखा- ‘लास्ट सेल्यूट मीटरगेज’ तो किसी ने लिखा- ‘गुड बाय’
महू से ओंकारेश्वर रवाना हुई थी
सोमवार को यह ट्रेन महू से ओंकारेश्वर के लिए रवाना हुई थी और मंगलवार सुबह ओंकारेश्वर से यात्रियों को लेकर महू स्टेशन पहुंची। इस ट्रेन के गार्ड रोशनलाल कौशल, लोको पायलट दौलत राम मीणा और सहायक लोको पायलट ऋषि कुमार ओंकारेश्वर लेकर गए थे। ट्रेन से बिछुड़ना उनके लिए दर्द दे रहा था। स्टेशन पर यात्रियों ने उनका हार पहनाकर सम्मान किया। कई यात्री इस ट्रेन से डेली अपडाउन करते थे, लेकिन ट्रेन बंद होने से उन्हें भी परेशानी होगी।
अंग्रेजों के राज में बिछाई थी छोटी लाइन, होलकर स्टेट ने अंग्रेजों को दिया था कर्ज
अंग्रेजों के समय इंदौर खंडवा के बीच यह छोटी लाइन बिछाई गई थी। यह ट्रेन झरने, पहाड़, टनल से गुजरती थी। वर्षाकाल में इस ट्रेक की खूबसूरती यात्रियों को आकर्षित करती थी। रेलवे के जानकार नागेश नामजोशी बताते हैं कि होलकर स्टेट ने अंग्रेजों को महू से ओंकारेश्वर तक रेलवे लाइन बिछाने के लिए एक करोड़ रुपये का कर्ज दिया था। 1873 में इसका काम शुरू हुआ था। पहाड़ों के बीच उस समय ट्रेन बिछाना कठिन काम था, लेकिन अंग्रेजों ने चार साल में यह काम पूरा कर दिया।
3 अगस्त 1877 को मालगाड़ी चलाकर इस लाइन का ट्रायल किया गया था। बाद में ट्रेक पर रेलगाड़ी का संचालन शुरू किया गया। नामजोशी कहते हैं मीटरगेज लाइन पर ट्रेन का संचालन रेलवे को काफी खर्चीला पड़ रहा था, इसलिए इसका संचालन बंद किया गया। लेकिन महू से कालाकुंड स्टेशन तक हेरिटेज ट्रेक को यात्री निहार सकेंगे।