बीजिंग : कूटनीति और सैन्य नीति के मोर्च पर भारत से करारा जवाब मिलने के बाद चीन अब नई चाल चल रहा है। भारत के साथ वह ‘जल युद्ध’ लड़ने की तैयार में है। चीन के रुख को भांपते हुए अब दिल्ली सरकार उसे इस चाल में भी मात देने की तैयारी में जुट गई है। भारत नहीं चाहता कि वह किसी भी मोर्चे पर चीन से कमजोर साबित हो, ऐसे में उसने अरुणाचल प्रदेश में चीन की नई चाल के खिलाफ घेरेबंदी शुरू कर दी है।
भारत सरकार ने अरुणाचल के सुबानसिरी में चल रहे 11 हजार मेगावाट के हाईड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट को फास्टट्रैक पर डाल दिया है। इसके अलावा उसने पहले से तीन स्थापित प्रोजेक्ट के विस्तार का काम भी शुरू कर दिया है।
भारत को सूखे या बाढ़ से नुकसान पहुंचाना चाहता है चीन
चीन की नई चाल भारत के साथ ‘जल युद्ध’ लड़ने की है। वह भारत को सूखे या फिर बाढ़ से नुकसान पहुंचाना चाहता है। इसके लिए चीन अरुणाचल प्रदेश सीमा के पास यारलुंग जैंगबो नदी(ब्रह्मपुत्र) पर 60 हजार मेगावाट का डैम बना रहा है, जिसने भारत की चिंता बढ़ा दी है। अधिकारियों को चिंता है कि चीन इस डैम के जरिए ब्रह्मपुत्र नदी के पानी को डाइवर्ट कर सकता है, या फिर पानी को छोड़कर भारत में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो अरुणाचल प्रदेश, असम, समेत कई राज्यों में समस्या उत्पन्न होगी, साथ ही बांग्लादेश पर भी असर पड़ेगा।
चीन को करारा जवाब देने की तैयारी
चीन को ‘जल युद्ध’ के मोर्चे पर भी करार जवाब देने के लिए भारत ने कमर कस ली है। अरुणाचल प्रदेश में डैम प्रोजेक्ट के काम को तेज कर दिया गया है, उधर 2000 मेगावाट वाला सुबंसीरी प्रोजेक्ट इस साल के मध्य में तैयार हो जाएगा। इसके आलवा अन्य हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट भी लाइन में हैं। ये प्रोजेक्ट एक साल तक पानी स्टोर कर सकते हैं। अगर चीन डैम के जरिए पानी छोड़ता है, तो उसे रोका भी जा जकता है।
भारत के लिए ब्रह्मपुत्र नदी काफी अहम
बता दें, भारत के लिए ब्रह्मपुत्र नदी काफी अहम है। यह नदी का 30 प्रतिशत ताजे पानी का स्रोत है, तो 40 प्रतिशत बिजली उत्पादन भी इसी से होता है। वहीं इस नदी का 50 फीसदी हिस्सा चीन में पड़ता है, जिस पर वह डैम बना रहा है।