नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिकंदराबाद विशाखापट्टनम के बीच चलने वाली आठवीं बंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई है। मेक इन इंडिया के तहत स्वदेशी तकनीक से बन रही 475 वंदे मातरम ट्रेन को भारत में चलाया जाना है। इसके बाद सरकार अंतरराष्ट्रीय मानक पर बनाई गई इस ट्रेन के कोच और इंजन को विदेश में निर्यात करने की संभावना पर गंभीरता से विचार कर रही है।
बांग्लादेश ,श्रीलंका , नेपाल और दक्षिण एशिया के कई देशों ने वंदे मातरम ट्रेन के लिए भारत से संपर्क बनाया है।
भारत मैं चेन्नई की इंट्रीगल कोच फैक्ट्री में हर महीने 10 वंदे मातरम ट्रेन का निर्माण किया जा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार जल्द ही कपूरथला और रायबरेली में भी वंदे मातरम ट्रेन के निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा। इसका उत्पादन और डिजाइन 100 फ़ीसदी स्वदेशी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी वंदे मातरम ट्रेन की प्रशंसा हो रही है। रेल मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार बांग्लादेश श्रीलंका और नेपाल तथा दक्षिण एशिया के कुछ देशों को एक-एक रैक भेजने की तैयारी पर विचार किया जा रहा है।
शताब्दी एक्सप्रेस का विकल्प होंगी वंदे मातरम ट्रेन
भारत में शताब्दी एक्सप्रेस के विकल्प के रूप में वंदे मातरम ट्रेन चलाई जाने का निर्णय रेल मंत्रालय द्वारा लिया गया है। एक राज्य से दूसरे राज्य और महानगरों को जोड़ने के लिए तेज गति की 253 ट्रेन चलाए जाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इससे भारत के अंदर सभी राज्यों के बीच कम समय पर ज्यादा यात्रियों को यहां से वहां परिवहन करने की सुविधा प्राप्त होगी। भारत में जब यह ट्रेन पर्याप्त संख्या में चलने लगेगी। उसके बाद भारत से निर्यात की जाएंगी।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो तकनीकी वर्तमान में है। जो कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर इत्यादि का उपयोग हो रहा है। उसका अध्ययन भी रेल मंत्रालय द्वारा शुरू कर दिया गया है। ताकि वंदे मातरम ट्रेन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के साथ निर्यात का नया मुकाम हासिल किया जा सके।
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