भोपाल : मनी लॉन्ड्रिंग केस में मध्यप्रदेश में पहली बार एक भू-माफिया को सजा सुनाई गई है। भोपाल कोर्ट ने आरोपी को 5-5 साल की जेल के साथ 50-50 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया। अभियोजन पक्ष के वकील साबिर सिद्दिकी ने दावा किया कि मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़ और गुजरात में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत यह पहली सजा है। वहीं देश की 24वीं सजा है।
बुधवार को विशेष जज धर्मेंद्र टांडा की कोर्ट ने ये फैसला सुनाया। वकील सिद्दिकी ने बताया कि भू माफिया रमाकांत विजयवर्गीय के खिलाफ ईडी ने 15 मई 2011 को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज किया था। उस पर 16 करोड़ रुपए ठगी का आरोप सिद्ध हुआ था। वर्तमान में वह भोपाल जेल में आजीवन कैद की सजा काट रहा है।
धोखाधड़ी के 74 केस दर्ज
विजयवर्गीय के खिलाफ धोधाखड़ी के 74 अपराध दर्ज हैं। वह भोपाल में पंचवटी फेस-3 में प्लाट देने का झांसा देकर 243 लोगों से 107 करोड़ की ठगी कर चुका है। ईडी ने राऊ, इंदौर स्थित उसकी 39 लाख रुपए कीमती प्रॉपर्टी जब्त कर चुकी है। 6-7 मामलों में उसे सजा सुनाई जा चुकी है। अन्य मामले में कोर्ट में विचाराधीन हैं।
इंजीनियर से जालसाल बनने की पूरी कहानी
रमाकांत ने 1976 में उज्जैन के कॉलेज से इंजीनियरिंग की। इसके बाद सरकारी विभागों में कॉन्ट्रैक्ट लेकर काम करना शुरू किया। 2002-03 में भोपाल में एयरपोर्ट रोड पर पंचवटी फेज-1 पर काम किया। इसके बाद फेज-2 और फेज-3 पर प्लॉटिंग शुरू की। किसानों से एग्रीमेंट कर लोगों से पैसे ले लिए। इस बीच, किसानों से हुए मनमुटाव के चलते प्रोजेक्ट अटक गया। उसने ग्राहकों से ली गई रकम हड़प ली।
2010 में कोहेफिजा थाने में रमाकांत के खिलाफ धोखाधड़ी का पहला केस दर्ज किया गया। इसके बाद अब तक इसी थाने में उसके खिलाफ 22 केस दर्ज हो चुके हैं। भोपाल, इंदौर और ईडी में रमाकांत के खिलाफ 74 केस दर्ज हैं। इसके साथ ही 100 से अधिक आवेदकों ने कोर्ट में उसके खिलाफ परिवाद दायर कर रखा है।
पुलिस से बचने के लिए बदला भेष, नाम बदला
पुलिस से बचने के लिए रमाकांत ने हुलिया बदल लिया था। भोपाल में ठगी करने के बाद वह इंदौर के विजय नगर स्थित फ्लैट में रामकुमार व्यास बनकर रह रहा था। दाढ़ी और बाल बढ़ाकर हुलिया भी बदल लिया था। दो साल पहले उसे पुलिस ने पकड़ा। वह हुलिया बदलकर इंदौर से भोपाल आ रहा था। यही नहीं, फर्जी पहचान-पत्र भी बनवा लिया था। तब उसका बेटा विदेश में था।
ठगी के बाद नमकीन का कारोबार
उज्जैन से नमकीन लाकर इंदौर में सप्लाई करने के साथ वह ट्रैवल एजेंसी भी संचालित कर रहा था। रमाकांत ने डिस्ट्रिक्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कंपनी भी खोल रखी थी। उसने ठगी के पैसों को नमकीन के कारोबार में लगा दिया था। हालांकि पुलिस उसके पास से रकम बरामद नहीं कर सकी। ठगी के शिकार लोगों ने कई बार पुलिस अफसरों पर विजयवर्गीय से साठगांठ करने का आरोप लगाया था।