कॉलेजियम सिस्टम में सुधार की जरूरत, ट्रायल कोर्ट और लॉ फर्मों के वकीलों की अनदेखी हो रही: एससीबीए अध्यक्ष सीनियर एडवोकेट विकास सिंह

दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) अध्यक्ष सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने शनिवार को कहा कि कॉलेजियम सिस्टम में सुधार की आवश्यकता है। यह सिस्टम ट्रायल कोर्ट या कानून फर्मों में प्रैक्टिस करने वाले कई वकीलों को दरकिनार कर देता है। सुप्रीम कोर्ट में आयोजित संविधान दिवस समारोह में सिंह ने कहा, “मुझे लगता है कि कॉलेजियम ‌सिस्टम में सुधार की आवश्यकता है। मैंने हमेशा कहा है कि कॉलेजियम सिस्टम ठीक सिस्टम है, बशर्ते कि यह ठीक से काम करे और इस कार्य पद्धति में जो हमने अब तक देखा है, कॉलेजियम सिस्टम की परिकल्पना का आधार यह था कि सुप्रीम कोर्ट ने महसूस किया कि सुप्रीम कोर्ट के जज वकीलों को जानें, और तदनुसार वे उनमें से सर्वश्रेष्ठ का चयन करने के लिए बेहतरीन स्थिति में हों।

पहली नज़र में यह आधार बहुत आकर्षक दिखता है हालांकि गहाई से देखने पर यह दिखता है कि कॉलेरियम के लिए यह असंभव है कि हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले लाखों वकीलों को जानने जानें। ऐसा कोई तरीका नहीं है, जिससे कॉलेजियम यह जान सके कि कोई विशेष वकील कहां है या उसे प्रमोट किया जाना चाहिए। कानून फर्मों में वकील हैं, निचली अदालतों में वकील हैं, जिन्हें पदोन्नति दी जानी चाहिए लेकिन कॉलेजियम का यह सिस्टम कि जिस व्यक्ति को प्रमोट किया जाना है, उसे वे व्यक्तिगत रूप से जाने, अत्यंत दोषपूर्ण सिस्टम है और इस प्रक्रिया का नतीजा न्यायपालिका को भुगतना पड़ रहा है।

चूंकि न्यायपलिका संविधान की संरक्षक है, इसलिए संविधान को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की आवश्यकता है क्योंकि पूरी संसद द्वारा सर्वसम्मति से पारित कानून को भी अदालत में बैठे दो जज शून्य कर सकते हैं। इस तरह की शक्ति हमारे सिस्टम में जजों के पास होती है और यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह शक्ति सही हाथों में बनी रहे, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि सिस्टम प्रासंगिक बना रहे।” संविधान एक विकसित होता दस्तावेज है सिंह ने कहा कि संविधान एक विकासित होता दस्तावेज है और इसे सामाजिक परिवर्तन का एक साधन होना चाहिए।

“संविधान सभा के सदस्यों की दृष्टि, बुद्धि और क्षमता गहरी थी, उन्होंने इस प्रकार बहुत विचार-विमर्श के साथ इस शानदार दस्तावेज का निर्माण किया, जिसे हम आज देख रहे हैं।” सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने कहा, “संविधान में कुछ खामियां रही हैं, संविधान ने संसद को कानून बनाने, कार्यपालिका को कानूनों को क्रियान्वित करने और न्यायपालिका को कानून को संरक्षित करने की जिम्मेदारी दी है, न्यायपालिका न्याय करते हुए मूल संविधान की खामियां को नोटिस करती रही है, और इन खामियों पर ध्यान देने के कारण ही संविधान में अब तक 105 बार संशोधन किया जा चुका है।” एससीबीए अध्यक्ष ने कहा कि अपराधियों को राजनीति में आने से रोकने के लिए मजबूत कानून की आवश्यकता है। उन्होंने मजबूत दलबदल विरोधी कानूनों की आवश्यकता पर भी बात की।

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