सागर। एमपी पूर्व नेता प्रतिपक्ष और पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव अपने विधानसभा चुनाव में पिछले दो चुनावों से जनसंपर्क पर नहीं निकलते हैं, फिर भी लगातार आठ विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. उनका मानना है कि उन्होंने अपनी विधानसभा क्षेत्र में इतना विकास किया है कि उन्हें जनता के दरवाजे पर जाकर वोट मांगने की जरूरत नहीं है. लेकिन उनके गृह नगर में चल रहे नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस ने उनकी ऐसी घेराबंदी की है कि, अब पार्टी को जिताने के लिए उन्हें जनसंपर्क और कार्यकर्ताओं की बैठक करना पड़ रहा है. हालांकि वह इससे इंकार कर रहे हैं, लेकिन मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में गोपाल भार्गव को कांग्रेस से कड़ी चुनौती मिल रही है.
विधानसभा चुनाव में खुद का नहीं करते प्रचार: 1985 से रहली विधानसभा से लगातार चुनाव जीत रहे गोपाल भार्गव 2003 में पहली बार मंत्री बने थे. 2003 के बाद गोपाल भार्गव के पास लगातार कैबिनेट मंत्री का दर्जा रहा है. कांग्रेस की 15 महीने की सरकार में गोपाल भार्गव नेता प्रतिपक्ष बनाए गए थे, नेता प्रतिपक्ष के लिए कैबिनेट मंत्री का दर्जा होता है. मंत्री बनने के बाद गोपाल भार्गव ने विधानसभा क्षेत्र रेहली में कई विकास कार्य किए हैं, इन्हीं विकास कार्यों और जन सेवा की बदौलत 2013 से गोपाल भार्गव खुद के विधानसभा चुनाव में प्रचार करने नहीं जाते हैं. उनका कहना है कि 1985 से वह लगातार क्षेत्र की जनता की सेवा कर रहे हैं और मंत्री बनने के बाद उन्होंने विकास कार्य के साथ-साथ जनकल्याण के कई कार्य किए हैं. इसलिए उनके क्षेत्र की जनता विकास और जन सेवा के नाम पर उन्हें चुनाव में विजय दिलाती है.