महालक्ष्मी व्रत
महालक्ष्मी शुभ मुहूर्त हिंदू पंचांग के अनुसार महालक्ष्मी व्रत अश्वनी मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है. 17 सितंबर दिन शनिवार को अष्टमी तिथि की शुरुआत दोपहर 2:33 पर शुरू होकर 18 सितंबर दिन रविवार को शाम 4:33 तक रहेगी।
महालक्ष्मी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन समय की बात है कि एक बार एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था. वह ब्राह्मण नियमित तौर पर भगवान विष्णु का पूजन किया करता था. एक दिन उसकी पूजा से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे दर्शन दिए और उससे अपनी मनोकामना मांगने को कहा. ब्राह्मण ने कहा कि उसके घर में हमेशा मां लक्ष्मी का वास रहे.
ब्राह्मण की इस मनोकामना को सुनने के बाद भगवान विष्णु ने उसे लक्ष्मी जी की प्राप्ति का मार्ग बताया और कहा कि मंदिर के सामने एक स्त्री आती है जो यहां आकर उपले थापती है. तुम उसे अपने घर आने का निमंत्रण देना क्योंकि वह कोई साधारण औरत नहीं बल्कि स्वंय मां लक्ष्मी हैं.
जब वह तुम्हारे घर पधारेंगी तो घर धन-धान्य और पैसों से भर जाएगा. यह कहकर विष्णु जी अपने धाम को चले गए. इसके बाद अगले दिन सुबह ब्राह्मण चार बजे उठकर मंदिर के सामने बैठ गया. जैसे ही मां लक्ष्मी वहां आईं तो उसने उनको घर आने का निमंत्रण दे दिया. मां लक्ष्मी समझ गईं कि यह सब भगवान विष्णु ने किया है. इसके बाद उन्होंने ब्राह्मण से कहा कि तुम महालक्ष्मी के 16 व्रत करों और रात को चंद्रमा को अघ्र्य देने देने के बाद व्रत का पारण करों. इससे तुम्हारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी.
ब्राह्मण ने मां लक्ष्मी द्वारा बताई गई विधि के अनुसार व्रत किया और 16वें व्रत के दिन देवी को उत्तर दिशा की ओर मुहं करके पुकारा. मां लक्ष्मी ने वचन के अनुसार उसे दर्शन दिए और उसकी मनोकामना पूर्ण की.
डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक व धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं. इन्हें अपनाने से पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.