जानिए कैसे करें गणपति बप्पा की विदाई

धर्म-कर्म-आस्था

गणपति बप्पा का स्वागत देश में बहुत ही जोरदार तरीके से किया जा रहा है। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की स्थापना की जाती है जो अगले 10 दिन यानी अनंत चतुर्थी तक गणेश उत्सव चलता है। इस दौरान कोई गणेश पूजा डेढ़ दिन करता है, तो कोई तीन, पांच, सात, नौ या फिर पूरे दस दिन करता है। ये बात उस व्यक्ति के ऊपर निर्भर है कि वह श्रद्धाभाव के साथ कितने दिनों तक गणपति बप्पा की सेवा कर सकता है। तय समय के बाद जल में भगवान गणेश की मूर्ति विसर्जित कर दी जाती है।
शास्त्रों के अनुसार, विसर्जन वाले दिन भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा अर्चना करें। फूल, माला, दूर्वा, नारियल, अक्षत, हल्दी, कुमकुम आदि चढ़ाएं। पान, बताशा, लौंग, सुपारी आदि चढ़ाने के साथ मोद, लड्डू आदि का भोग लगा दें। अब घू का दीपक, धूप जलाने जलाने के साथ ऊं गं गणपतये नमः: का जाप करें। थोड़ी देर बाद एक साफ सुथरा चौकी या फिर पाटा लें। इसे गंगाजल से पवित्र कर लें। इसके बाद इसमें स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और थोड़ा सा अक्षत डाल दें।इसके बाद इसमें लाल या पीला रंग का वस्त्र बिछा दें। अब वस्त्र के ऊपर पूल और चारों कोनों में सुपारी रख दें। अब भगवान गणेश की मूर्ति उठाकर इस पाटे में रख दें। अब भगवान को लगाया चढ़ाया गया सामान यानि मोदक, सुपारी, लौंग, वस्त्र, दक्षिणा, फूल, फूल आदि एक कपड़े में बांध लें और  गणेश जी की मूर्ति के बदल में रख दें। अगर नदी, तालाब या पोखर के किनारे विसर्जन कर रहे हैं तो कपूर से आरती कर लें। इसके बाद खुशी-खुशी विदा करें। गणपति जी को विदा करते समय अगले साल आने की कामना करें। इसके साथ ही भूल चूक के लिए माफी मांग लें। इसके साथ ही सभी वस्त्र और पूजन सामग्री आदर के साथ प्रवाहित कर दें।अगर भगवान गणेश की इको फ्रेंडली मूर्ति है, तो घर में ही एक बड़े साफ गहरे बर्तन में पानी भरकर उसमें विसर्जित कर दें। जब मूर्ति पानी में घुल जाए, तब इसके पानी को गमले में डाल दें और उस पौधे को हमेशा पास रखें।

क्यों जरूरी है मूर्ति का विसर्जन : हिंदू धर्म के वेद पुराणों में बताया गया है कि सभी देवी-देवताओं को मंत्रों से बांधा जाता है। कई तरह के शुभ अवसरों में इन्हीं मंत्रों का पाठ करके उनका आह्वान करते हैं। फिर इन्हें अपने लोक में बुलाकर मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा करते हैं। इसलिए इन देवी-देवताओं का विसर्जन करना बेहद जरूरी है। सिर्फ मां लक्ष्मी और सरस्वती को विसर्जित नहीं किया जाता है। बाकी सभी देवी-देवताओं का विसर्जन जरूर करें।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *