एनवी रमना हुए रिटायर, लिए कई ऐतिहासिक फैसले, नए सीजेआई यूयू ललित ने बड़े सुधार करने का किया ऐलान

Uncategorized देश

नई दिल्ली : भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमना ने राजद्रोह कानून पर रोक लगाने, धनशोधन के फैसले की समीक्षा करने, पेगासस जासूसी और लखीमपुर खीरी मामलों की जांच का आदेश देने और शीर्ष अदालत में रिकॉर्ड 11 तथा उच्च न्यायालयों में 220 से अधिक न्यायाधीशों की नियुक्तियां सुनिश्चित करने सहित कई महत्वपूर्ण न्यायिक और प्रशासनिक फैसले लिये. अपने कार्यकाल के अंतिम दिन 48वें सीजेआई ने शीर्ष अदालत की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग सुनिश्चित करने के 2018 के फैसले पर अमल के तहत आज रस्मी पीठ की कार्यवाही की वेबकास्टिंग सुनिश्चित करके एक और उपलब्धि हासिल कर ली.

सीजेआई की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने एक रिकॉर्ड कायम करते हुए 11 न्यायाधीशों की नियुक्ति सुनिश्चित की, जिनमें से नौ न्यायाधीश एक ही बार में नियुक्त हुए थे. इनमें तीन महिला न्यायाधीश भी शामिल हैं. न्यायमूर्ति रमना ने कोविड-19 महामारी के दौरान अदालतों का निर्बाध कामकाज सुनिश्चित करने के अलावा, उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए बार और न्यायिक सेवाओं से 224 नामों की सिफारिश की थी. उन्होंने देश भर के न्यायाधिकरणों में पीठासीन अधिकारियों, तकनीकी और कानूनी सदस्यों की लगभग 100 नियुक्तियां सुनिश्चित कीं. सीजेआई ने गत मई में एक ऐतिहासिक आदेश दिया और राजद्रोह के मामले में औपनिवेशिक काल के कानूनी प्रावधानों पर रोक लगा दी. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें इस प्रावधान की समीक्षा लंबित रहने तक राजद्रोह के आरोपों के तहत कोई भी मामला दर्ज नहीं करेंगी.

इसने एक समिति की रिपोर्ट के निष्कर्षों का भी संज्ञान लिया, जिसने जनवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा उल्लंघन मामले की जांच की थी. समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि फिरोजपुर एसएसपी अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में विफल रहे, जबकि पर्याप्त सुरक्षा बल उपलब्ध था. सीजेआई ने कार्रवाई के लिए रिपोर्ट केंद्र को भेज दी है. न्यायमूर्ति रमना के नेतृत्व वाली पीठों ने राजनेताओं, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं पर नजर रखने के लिए एजेंसियों द्वारा इजरायली स्पाइवेयर ‘पेगासस’ के इस्तेमाल के आरोपों और लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में जांच का आदेश दिया. लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में पिछले साल अक्टूबर में चार किसानों सहित आठ लोग मारे गए थे. उन्होंने अतिक्रमण-रोधी अभियान रोकने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप भी किया. यहां जहांगीरपुरी में सांप्रदायिक दंगों के बाद कई लोगों ने इस हस्तक्षेप का स्वागत किया था.

भारत के अगले प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति यू. यू. ललित ने शुक्रवार को अपने कार्यकाल के दौरान तीन सुधारों की घोषणा की. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा आयोजित प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमना के विदाई समारोह में अपने संबोधन में, न्यायमूर्ति ललित ने तीन सुधारों के बारे में बात करते हुए कहा कि वह मामलों की सूची को स्पष्ट और पारदर्शी बनाना चाहते हैं, संबंधित पीठों के समक्ष तत्काल मामलों का उल्लेख करने के लिए एक स्पष्ट व्यवस्था पर काम करना चाहते हैं और साल भर काम करने वाली एक संविधान पीठ चाहते हैं.

उन्होंने प्रधान न्यायाधीश रमना की दो प्रमुख उपलब्धियों का हवाला दिया – एक, न्यायिक रिक्तियों का समाशोधन और दूसरा, न्यायिक बुनियादी ढांचे से संबंधित मुद्दों पर ध्यान देना. उन्होंने आगे कहा कि सीजेआई रमना के कार्यकाल के दौरान विभिन्न उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की 200 से अधिक नियुक्तियां की गईं. न्यायमूर्ति ललित ने कहा, “दूसरा पहलू जो मैंने देखा वह था मुख्य न्यायाधीशों और मुख्यमंत्री के सम्मेलन में जस्टिस रमना ने जिस तरह से सभी मुख्य न्यायाधीशों और मुख्यमंत्रियों को निचली न्यायपालिका में बुनियादी ढांचे से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मनाने की कोशिश की, वह उल्लेखनीय रहा.”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *