नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम की उस अर्जी को बुधवार को स्वीकार लिया जिसमें उन्होंने पीएमएलए कानून के तहत गिरफ्तारी, जांच और संपत्ति की जब्ती के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की शक्तियों को बहाल रखने के शीर्ष अदालत के पिछले महीने के फैसले पर पुनर्विचार के लिए खुली अदालत में सुनवाई का अनुरोध किया. प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि मौखिक सुनवाई के लिए अर्जी मंजूर की जाती है. मामले को 25 अगस्त, 2022 को सूचीबद्ध किया जाता है. पीठ ने अदालत कक्ष में कार्ति की पुनर्विचार याचिका पर गौर किया.
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि पीएमएलए के फैसले में धारा 8(4) से संबंधित प्रावधान को और स्पष्ट करने की जरूरत है. शीर्ष अदालत ने 27 जुलाई के अपने फैसले में कहा कि जब्ती का औपचारिक आदेश पारित होने से पहले धारा 8(4) के तहत विवादित संपत्ति का कब्जा लेने का निर्देश अपवाद होना चाहिए न कि नियम. धारा 8(4) ईडी को न्यायिक प्राधिकार द्वारा की गई अस्थायी जब्ती की पुष्टि के चरण में जब्त की गई संपत्ति पर कब्जा करने की अनुमति देती है.
पीठ ने कहा कि विजय मदनलाल चौधरी और अन्य बनाम भारत संघ में, इस अदालत ने धन शोधन निवारण कानून, 2002 (पीएमएलए) की धारा 8 के तहत जब्ती की कार्यवाही पर गौर किया और अंतरिम कब्जे से संबंधित पीएमएलए की धारा 8 (4) के क्रियान्वयन को असाधारण मामलों के अंतिम मुकदमे के समापन से पहले न्यायिक प्राधिकारी द्वारा की गई अनंतिम जब्ती को सीमित कर दिया. पीठ ने कहा कि अदालत ने पहले के मामलों को उसमें लागू कानून के तहत अनूठी योजना के मद्देनजर अलग किया.
उक्त निर्णय का अध्ययन करने के बाद, हमारी राय है कि उपरोक्त प्रावधान को एक उपयुक्त मामले में और अधिक स्पष्ट करने की आवश्यकता है, जिसके बिना मनमाने ढंग से लागू होने की बहुत गुंजाइश रह जाती है. शीर्ष अदालत ने 27 जुलाई को, धन शोधन मामले में गिरफ्तारी, संपत्ति की कुर्की और पीएमएलए के तहत तलाशी और जब्ती से संबंधित ईडी की शक्तियों को बरकरार रखा, जिसे कार्ति चिदंबरम सहित कई याचिकाकर्ताओं ने चुनौती दी है.