इंदौर : महापौर और एमआईसी सदस्यों के चयन के लिए हुई खींचतान के बाद सियासी गलियारों में इनके विभागों को लेकर अब सियासी हलचल तेज हो गई है। सभी की नजर अब एमआईसी सदस्यों को दिए जाने वाले विभागों को लेकर है। इसमें मलाईदार विभाग पाने के लिए काफी होड़ मची है लेकिन निर्णय महापौर पुष्यमित्र भार्गव ही करेंगे और इसकी घोषणा भी करेंगे। इस बीच एमआईसी सदस्यों के विभागों के बंटवारे को लेकर एक सूची सामने आई है जिसे लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। इसमें कुछ को मलाईदार विभाग तो कुछ को अन्य विभागों की जिम्मेदारी दी गई है। हालांकि यह सिर्फ कयास ही है। संकेत हैं कि सोमवार को एमआईसी सदस्यों को विभागों को बंटवारा कर दिया जाएगा।
सोशल मीडिया पर आई सूची, न्यूज़ 29 इंडिया इसकी पुष्टि नहीं करता
राकेश जैन (सामान्य प्रशासन)
निरंजनसिंह चौहान (जल कार्य एवं सीवरेज) अभिषेक शर्मा (जन कार्य व उद्यान)
राजेश उदावत (राजस्व)
जीतू यादव (विद्युत व अभियांत्रिकी)
राजेंद्र राठौर (स्वच्छता व ठोस अपशिष्ट प्रबंधन विभाग)
नंदकिशोर पहाडिया (यातायात एवं परिवहन)
मनीष शर्मा (वित्त व लेखा विभाग)
अश्विन शुक्ल (योजना एवं प्रौद्योगिकी)
प्रिया डांगी (शहरी गरीबी उपशमन विभाग)
इस सूची को लेकर पार्टी के स्थानीय एक गुट का मानना है कि यह सूची लगभग फाइनल है और इसमें मामूली फेरबदल हो सकता है। इसके पीछे कारण बताया गया है कि इंदौर देश में स्वच्छता में पांच बार अव्वल रहा है और अब छक्का मारने की तैयारी में है। ऐसे में स्वच्छता व ठोस अपशिष्ट प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण विभाग वरिष्ठ एमआईसी सदस्य को देना ही बेहतर है। इसके चलते यह संभावना है कि राजेंद्र राठौर पांच बार के पार्षद तथा दो बार एमआई सदस्य रह चुके हैं इसलिए उन्हें यह विभाग दिया जा सकता है।
इसी कड़ी में राजस्व जैसा महत्वपूर्ण विभाग को लेकर भी मंथन हुआ। चूंकि राजेश उदावत आईडीए बोर्ड के संचालक मंडल में पूर्व में रह चुके हैं और उन्हें किसी भी योजना, प्रोजेक्ट के बजट आदि का खासा अनुभव है, और राजस्व का भी, उन्हें यह विभाग दिया जा सकता है। राजस्व के लिए दूसरा निरंजनसिंह चौहान का भी है। वह इसलिए कि उन्हें संगठन ने लगातार तो साल तक समर्पण राशि का प्रभार दिया था जबकि इसके पूर्व यह जवाबहदेही विधायक की तय होती थी। चौहान ने लगातार दो साल तक टारगेट से ज्यादा ही किया। इसके चलते उन्हें भी यह प्रभार दिया जा सकता है। दूसरे विकल्प में उन्हें जल कार्य एवं सीवरेज दिया जा सकता है क्योंकि इसके पूर्व उनकी पत्नी सपना चौहान एमआईसी में रही है जिनके पास यह विभाग था।
दो बार के पार्षद रहे नंदकिशोर पहाडिया को इस बार एमआईसी में स्थान मिल गया। वे विधानसभा-5 (विधायक महेंद्र हार्डिया) के वार्ड से पार्षद है। वे विधायक हार्डिया से ज्यादा वरिष्ठ नेता कैलाश व विजयवर्गीय व विधायक रमेश मेंदोला के करीबी हैं। उन्हें यातायात व परिवहन विभाग दिया जा सकता है या फिर वित्त विभाग भी दिया जा सकता है। अभी विधानसभा-3 के पार्षद मनीष शर्मा को वित्त व लेखा विभाग दिए जाने की चर्चा है लेकिन एक अन्य गुट इसके पक्ष में नहीं है। अन्य महत्वपूर्ण विभागों में जो वरिष्ठ है उनमें राकेश जैन को सामान्य प्रशासन व अश्विन शुक्ल को योजना व प्रौद्योगिकी दिया जा सकता है जबकि नई पार्षद प्रिया डांगी को शहरी गरीबी उपशमन विभाग देना तय माना जा सकता है।
चुनौतीपूर्ण है विभागों का बंटवारा
खास बात यह कि जिस तरह से एमआईसी के 10 सदस्यों के लिए 25 से ज्यादा दावेदार थे और इसके लिए विधायकों के अलावा पूर्व विधायकों सांसद, मंत्री व वरिष्ठ नेताओं का दबाव था, अब विभागों के बंटवारे के लिए भी ऐसी ही स्थिति है। इनमें से कुछ सदस्यों के भूमाफियाओं से संबंध भी हैं तो कुछ के खिलाफ अपराध भी दर्ज हैं। इसके अलावा पांच साल तक सदस्य रहने के दौरान उनके व वरिष्ठ नेताओं के हित भी जुड़े रहते हैं इसलिए विभागों का बंटवारा काफी चुनौतीपूर्ण होगा। एमआईसी को 10 करोड रु. तक के बजट को पास करने तक का अधिकार है। ऐसे में हर सदस्य को विभाग देने को लेकर चुनौती और भी ज्यादा है।