मुरैना जिले के गांवों में चंबल का पानी घुसा

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ग्वालियर अंचल। कोटा बैराज से छोड़े गए 7 लाख क्यूसेक पानी से ग्वालियर-चंबल संभाग के तीन जिले श्योपुर, मुरैना और भिंड रविवार को एक बार फिर बाढ़ की चपेट में आए गए। तीनों जिलों के करीब 100 से अधिक गांव चंबल की बाढ़ में घिर गए हैं। गांवों में घिरे सैकड़ों लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया।

मुरैना में पुराने राजघाट पुल के ऊपर से चंबल नदी का पानी बह रहा है। ऐसी स्थिति 13 साल बाद बनी है। वहीं, श्योपुर में तो हालात यहां तक बिगड़ गए कि पाली-श्योपुर हाइवे के करीब एक किमी हिस्से की निगरानी के लिए बोट चलानी पड़ी। बाढ़ के हालात से निपटने के लिए श्योपुर और भिंड में सेना तैनात करनी पड़ी है।

श्योपुर: राजस्थान से संपर्क कटा, गांव बने टापू

श्योपुर की दो प्रमुख नदियां चंबल और पार्वती खतरे के निशान पर बह रही हैं। पार्वती के उफान में सात दिन से श्योपुर को कोटा से जोड़ने वाला खातौली पुल और तीन दिन से बारा-मांगरौल को जोड़ने वाला कुहांजापुर पुल डूबा हुआ है। उधर चंबल नदी में आए उफान से पाली हाइवे पर दांतरदा के पास बनी चिंधाड़ की पुलिया रविवार तड़के 4 बजे डूब गई और श्योपुर का राजस्थान से पूरी तरह संपर्क कट गया।

दोपहर तक पुलिया के ऊपर 6 फीट से ज्यादा पानी था, जो धीरे-धीरे और बढ़ रहा है। यहां चंबल नदी का जलस्तर 200.50 मीटर खतरे के निशान तक जा पहुंचा है। सांड, सूंडी और कीर की सांड गांव टापू बने हुए हैं। इनमें से सांड गांव में 155 लोगों में से 95 को रेस्क्यू टीम ने बाहर निकाल लिया।

भिंड: खतरे से तीन मीटर ऊपर बह रही नदी, एनडीआरएफ को बुलाया

चंबल नदी का जलस्तर खतरे के निशान 122 मीटर से 3 मीटर ऊपर यानी 125 तक पहुंच गया है। बाढ़ के खतरे को देखते हुए अटेर के 5 गांवों से करीब 400 लोगों को बाहर निकाला गया। अटेर में 2 मोटर बोट तैनात की गई हैं। एसडीआरएफ पहले से है। अब सेना को भी बुलाया गया है, जो देर रात तक भिंड पहुंच जाएगी।

कलेक्टर ने टेकनपुर से एनडीआरएफ की टीम भी बुलाई है। चंबल नदी का जलस्तर प्रतिघंटे 10-12 सेमी की रफ्तार से बढ़ रहा है। नेशनल हाइवे-92 बरही चंबल पुल पर मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की ओर से पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। पानी ज्यादा बढ़ा तो पुल को कभी भी बंद किया जा सकता है।

मुरैना: 13 साल बाद चंबल नदी में पुल के ऊपर से बह रही

पुराने राजघाट पुल के ऊपर से चंबल बह रही है। इससे 13 साल पहले यानी 2006 में ऐसा हुआ था। लगातार पानी बढ़ने से चंबल किनारे का गांव महूखेड़ा पानी में डूब गया। हालांकि ग्रामीण पहले ही गांव से निकल आए थे। इसके साथ ही तीन गांवों के लोग भी गांव छोड़कर बाहर आ गए। अन्य करीब दो दर्जन गांवों में पांच हजार से अधिक लोग गांवों में फंसे हुए हैं। चंबल में पानी बढ़ने से उसके किनारे के 89 गांवों में संकट खड़ा हो गया।

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