भोपाल में 40 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा के तापमान में बीपीएड और एमपीएड डिग्री बेरोजगार लड़के-लड़कियां धरना प्रदर्शन करने को मजबूर हैं। स्कूलों में स्पोर्ट्स टीचर के पदों पर भर्ती किए जाने की मांग को लेकर विदिशा से पैदल चलकर सागर, विदिशा, भोपाल, इंदौर, जबलपुर, उज्जैन और अन्य जिलों से भोपाल पहुंचे। सीएम हाउस जाने से पहले ही बेरोजगारों को पुलिस ने बोर्ड ऑफिस चौराहे पर रोक दिया। पुलिस ने अनुमति नहीं होने का हवाला देते हुए उन्होंने चौराहा पर रोक लिया।
इससे प्रदर्शनकारियों का गुस्सा फूट पड़ा। बेरोजगार पंकज भार्गव ने कहा कि सरकार को बीपीएड-एमपीएड की डिग्री कोर्स बंद कर देना चाहिए। उनकी डिग्री रद्द करके उनका पैसा वापस देना चाहिए। कोर्स तो चला रहे हैं, लेकिन नौकरी नहीं दे रहे। जब तक सरकारी उनकी मांग नहीं मानती, तब तक उनका प्रदर्शन चलता रहेगा। 15 दिन से सिर्फ बातचीत ही चल रही, लेकिन कुछ नतीजा नहीं निकला इसलिए अब सड़क पर उतरना पड़ा।
प्रदर्शनकारियों ने मांग करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश शासन ने हाल में स्कूलों में खेल शिक्षकों का प्रभार विशेष शिक्षकों को देने का निर्णय लिया है। इसके लिए स्कूल के ही विशेष शिक्षकों को 5 दिन का खेल प्रशिक्षण देकर उन्हें खेल प्रभारी शिक्षक बनाया जा रहा है। इससे बीपीएड और एमपीएड करने वाले खेल प्रशिक्षकों के साथ अन्याय है। बीते 14 सालों से मध्यप्रदेश में शारीरिक शिक्षक की योग्यताधारी बीपीएड एवं एमपीएड अभ्यर्थियों को बेरोजगारी के दंश से जूझना पड़ रहा है। अब जब शिक्षकों की भर्ती का समय आ रहा है, तो सरकार विशेष शिक्षकों को पांच दिन का प्रशिक्षण देकर शिक्षक बनाया जा रहा है। इसमें कई स्थानों पर तो चपरासी तक को भी स्पोर्ट्स टीचर बना दिया गया।
50 हजार से ज्यादा पद अभी भी खाली हैं
बेरोजगारों का कहना है कि सरकार का निर्णय पूरी तरह से योग्यताधारी शिक्षित बेरोजगारों के खिलाफ है। कुछ समय पहले सर्वे के माध्यम से पता चला था कि प्रदेश के स्कूलों में 72 हजार से अधिक खेल शिक्षकों के पद खाली है। अधिकांश स्कूलों में खेल शिक्षक नहीं है। इन पदों पर बीपीएड और एमपीएड डिग्रीधारी बेरोजगारों की भर्ती की जाना चाहिए, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि सरकार बेरोजगारों को नौकरी देना ही नहीं चाह रही।