लखनऊ: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार चपरासी से लेकर आईएएस व सिपाही से लेकर आईपीएस अधिकारी पर सख्त कार्यवाई कर रही है लेकिन आज राज्य के डीजीपी मुकुल गोयल को उनके पद से हटाने के बाद चर्चा इस बात की गर्म है कि सरकार ने उन्हें हटाने का जो कारण बताया है वह अत्यंत गंभीर है. सरकार ने मुकुल गोयल को शासकीय कार्यों की अवेहलना करने, विभागीय कार्यों में रुचि न लेने व अकर्मण्यता के चलते पद मुक्त किया है. आखिरकार सरकार को पद मुक्त करने के लिए ऐसे गंभीर शब्दों का प्रयोग क्यों करना पड़ा. मुकुल गोयल को डीजीपी पद से हटाने के लिए जो कारण राज्य सरकार ने दिए है उस पर पूर्व में रहे डीजीपी के अलग-अलग मत है.
डीजीपी के लिए पहली बार सुने ऐसे शब्द
यूपी के डीजीपी रहे केएल गुप्ता कहते है कि जैसे ही उन्हें यह ज्ञात हुआ कि मुकुल गोयल को डीजीपी पद से हटाने के लिए राज्य सरकार ने ‘शासकीय कार्यों की अवेहलना करने, विभागीय कार्यों में रुचि न लेने व अकर्मण्यता’ जैसे शब्द प्रयोग किये है, उन्हें आश्चर्य हुआ. गुप्ता कहते है कि पिछले 3 दशकों में कभी भी ऐसा नही हुआ है कि एक डीजीपी को दरोगा की तरह पद से हटाया गया हो. वो कहते है कि कल्याण सिंह की सरकार में जब उन्हें डीजीपी पद से हटाकर डीजी सीआईडी बनाया गया तो उन्हें बस सूचित कर दिया गया था. मुकुल गोयल के साथ भी सरकार यही कर सकती थी या फिर बिगड़ती कानून व्यवस्था का हवाला देकर उन्हें हटाया जा सकता था लेकिन ऐसे शब्दों का प्रयोग करना यह दर्शाता है कि कुछ ना कुछ-कुछ बड़ा चल रहा था
डीजीपी की उदासीनता के चलते सरकार ने कहे ये शब्द
पूर्व डीजीपी अरविंद कुमार जैन बताते है कि सरकार ने ऐसे शब्द सोच विचार कर प्रयोग किये होंगे. बीते दिनों मुकुल गोयल की सरकार व मुख्यमंत्री के साथ तालमेल में कमी दिख रही थी. यही नही राज्य में ललितपुर, चंदौली समेत कई बडी घटनाओं के बाद भी एक बार भी बयान न देना भी उनकी उदासीनता दिखाती है.
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन बनी सरकार की सख्ती की वजह
पूर्व डीजीपी अरविंद कुमार जैन बताते है कि सरकार की इस सख्ती की वजह के पीछे सुप्रीम कोर्ट का वो आदेश है जिसके तहत कहा गया है कि राज्य में किसी भी डीजीपी को कम से कम 2 साल के लिए नियुक्त किया जाए. हालांकि सरकार किसी विशेष परिस्थिति में डीजीपी को पद मुक्त कर सकती है लेकिन उसका कारण सरकार को बताना पड़ेगा. यही वजह है सरकार ने मुकुल गोयल को हटाने के लिए कहा है कि उन्हें शासकीय कार्यों की अवेहलना करने, विभागीय कार्यों में रुचि न लेने व अकर्मण्यता के चलते पद मुक्त किया जा रहा है.