देहरादून: उत्तराखंड को कुदरत ने नायाब खूबसूरती से नवाजा है. यहां की नैसर्गिक सुंदरता दुनियाभर में मशहूर है. अपने शांत वातावरण, मनमोहक दृश्यों के चलते उत्तराखंड को धरती का सुंदरतम माना जाता है. खासकर यहां की मनोरम वादियां, बर्फ से ढका हिमालय, झील-झरने और मठ मदिरों को देखने के लिए दुनियाभर से सैलानी आते हैं. अगर आप भी उत्तराखंड आ रहे हैं तो आइए आपको गढ़वाल की कुछ खूबसूरत डेस्टिनेशन्स की सैर कराते हैं, जिन्हें देखने पर आपकी यात्रा और खूबसूरत हो जाएगी.
ऋषिकेश व हरिद्वार से होती है चारधाम की शुरुआत- चारधाम यात्रा की शुरुआत तो वैसे ऋषिकेश से होती है, लेकिन देश-दुनिया के तमाम कोनों से आने वाले लोगों को हरिद्वार में ही रुक कर यात्रा की शुरुआत करनी होती है. यही वजह है कि बड़ी संख्या में चारधाम यात्री हरिद्वार पहुंचते हैं. अगर आप भी हरिद्वार आना चाहते हैं तो ट्रेन और बस के साथ कार के माध्यम से पहुंच सकते हैं. अगर आप हवाई रास्ते से हरिद्वार आना चाहते हैं तो इसके लिए आपको देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर आना पड़ेगा. जहां से करीब 45 मिनट का सड़क मार्ग से सफर तय कर हरिद्वार आ सकते हैं. हरिद्वार में आप गंगा स्नान, ध्यान, मंदिरों के दर्शन के साथ-साथ कुछ अन्य जगहों पर भी जाकर आनंद की अनुभूति कर सकते हैं.
राजाजी नेशनल पार्क में वन्यजीवों का करें दीदार, घूमने के लिए इतना है चार्ज- हरिद्वार के हरकी पैड़ी से मात्र 5 किलोमीटर दूरी पर राजाजी नेशनल पार्क स्थित है. यहां जाने के लिए आपको छोटे वाहन आसानी से मिल जाएंगे. अगर आप जंगल सफारी के शौकीन हैं तो यहां पर आपको हर जानवर का दीदार हो जाएगा. खुली जीप से जंगल सफारी का आनंद लेने के लिए आपको लगभग प्रति व्यक्ति ₹300 चार्ज देना होगा.
राजाजी नेशनल पार्क
चीला बैराज की क्या बात है- इसी के पास स्थित है खूबसूरत चीला बैराज. यहां की शांति और मध्यम गति से बह रही गंगा आप का मन मोह लेगी. इस रास्ते के माध्यम से आप ऋषिकेश का सफर भी तय कर सकते हैं. राजाजी नेशनल पार्क के अलावा रानीपुर पार्क भी बीते कुछ सालों से अस्तित्व में आया है. हरकी पैड़ी के अलावा भगवान शिव का विशालकाय दक्ष मंदिर भी स्थित है. यह वही दक्ष मंदिर है, जहां पर राजा दक्ष ने भगवान शिव का अपमान करने के लिए एक यज्ञ का आयोजन किया था. इसमें सती भस्म हो गई थी. आज भी आसपास का क्षेत्र उस काल की गवाही देता है.
हरिद्वार में मनसा देवी और चंडी देवी के प्रसिद्ध मंदिर भी हैं. यहां पहुंचने के लिए आपको रोपवे का विकल्प मिलेगा. प्रति व्यक्ति मंदिर में जाने के लिए ₹150 का टिकट निर्धारित किया गया है. आप दोनों ही मंदिरों में पैदल भी जा सकते हैं. हरिद्वार में गंगा के किनारे खूबसूरत घाट शाम के समय आपको अपनी ओर आकर्षित करेंगे. हरिद्वार में आपको ₹700 से लेकर ₹20,000 तक के रूम मिल जाएंगे.
अगर आपको हरिद्वार शहर घूमना है तो आप बाइक किराए पर ले सकते हैं. इसके अलावा टैक्सी, ऑटो रिक्शा या ई रिक्शा से भी शहर को घूम सकते हैं. शाम की गंगा आरती जो तकरीबन 6:45 पर शुरू होती है, वो भी आपका दिन बना देगी. खर्चे के लिहाज से हरिद्वार शहर ज्यादा महंगा तो नहीं है, हां लेकिन इतना जरूर है के मंदिरों के दर्शन करने के लिए आपको एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए समय जरूर लगेगा.
योगनगरी ऋषिकेश की इन जगहों को करें एक्सप्लोर- हरिद्वार से ऋषिकेश की दूरी लगभग 28 किलोमीटर है. ऋषिकेश के रास्ते में स्थित है वीरभद्र का मंदिर. इस मंदिर के लिए आपको हाईवे से लगभग 8 किलोमीटर आईडीपीएल की तरफ चलना होगा. यह मंदिर भी बेहद ऐतिहासिक और पौराणिक है. ऋषिकेश में आप भरत मंदिर, नीलकंठ मंदिर जा सकते हैं. ऋषिकेश शहर से नीलकंठ मंदिर की दूरी लगभग 30 किलोमीटर है. यहां आप को कार से या टैक्सी से ही जाना होगा.
आप पूरी टैक्सी बुक भी कर सकते हैं या फिर प्रति व्यक्ति के हिसाब से भी इस रूट पर आपको वाहन मिल जाएंगे. ऋषिकेश में आप साहसिक पर्यटन का भी आनंद ले सकते हैं. लगभग 10 किलोमीटर की राफ्टिंग का सफर आपको बेहद खुश कर देगा. प्रति व्यक्ति के हिसाब से अलग-अलग दूरी की अलग-अलग चार्ज चुकाने होंगे. ऐसे में आप मान कर चलिए कि ₹600 से ₹900 आपको प्रति व्यक्ति के हिसाब से चार्ज देना होगा. रास्तों में आपको खूबसूरत वादियां, नीला पानी और देश विदेशी सैलानी भी दिखाई देंगे.
मन मोह लेगी गंगा आरती और मरीन ड्राइव- ऋषिकेश की परमार्थ आरती भी भव्यता के साथ होती है. राम झूला और लक्ष्मण झूला के अलावा आप यहां पर गंगा किनारे बनी मरीन ड्राइव का भी आनंद ले सकते हैं. शाम के वक्त ऋषिकेश बेहद खूबसूरत नजर आता है. एयरपोर्ट से ऋषिकेश की दूरी लगभग 30 किलोमीटर है. जबकि, हरिद्वार से ऋषिकेश का किराया ₹75 प्रति व्यक्ति है. ऋषिकेश में आप राफ्टिंग, होमस्टे जैसी सुविधाओं का आनंद ले सकते हैं. यहां पर भी आपको ₹500 से लेकर ₹20,000 तक के शानदार होटलों में कमरे मिल सकते हैं, लेकिन उसके लिए आपको पहले ही ऑनलाइन बुकिंग करवानी होगी. राफ्टिंग के अलावा बंजी जंपिंग भी आपको यहां पर करने के लिए मिल जाएगी.
गंगा आरती
देवप्रयाग में संगम के अलवा यहां पूछ सकते हैं अपना भविष्य- ऋषिकेश से चलने के बाद आप बदरीनाथ ऋषिकेश हाईवे पर देवप्रयाग के दर्शन कर सकते हैं. देवप्रयाग वही जगह है, जहां पर अलकनंदा और भागीरथी का संगम होकर गंगा की उत्पत्ति होती है. ऋषिकेश से देवप्रयाग की दूरी लगभग 72 किलोमीटर है. इस दूरी को तय करने के लिए आपको लगभग एक घंटा 50 मिनट का सफर तय करना होगा. देवप्रयाग में आप गंगा स्नान का आनंद ले सकते हैं.
देवप्रयाग
देवप्रयाग में ही रघुनाथ मंदिर भी है. इस मंदिर के दर्शन के लिए देशभर से लोग आते हैं. देवप्रयाग की खासियत इस बात से भी है कि यहां पर एक मात्र नक्षत्र वेधशाला है, जहां पर आप आकर ग्रह नक्षत्रों के बारे में बारीकी से जान सकते हैं. इतना ही नहीं आप अपने बारे में अगर कुछ जानना चाहते हैं तो यहां पर वेदों व ग्रहों के जानकार भी आपको मिल जाएंगे. इस जगह पर पूरा एक संग्रहालय बनाया गया है, जहां पर सालों पुरानी पांडुलिपियां रखी गई हैं.
गढ़वाल के प्रमुख शहरों में से एक है श्रीनगर- देवप्रयाग से जब आगे बढ़ेंगे तो लगभग 35 किलोमीटर दूरी पर आपको गढ़वाल के प्रमुख शहरों में से एक श्रीनगर शहर का दीदार होगा. श्रीनगर में केंद्रीय विश्वविद्यालय और एनआईटी है. यह शहर अपने आप में एक इतिहास समेटे हुए है. श्रीनगर में आप चारधाम यात्रा के दौरान रुक सकते हैं. यहां पर होटल, धर्मशाला और लॉज आसानी से मिल जाएंगे. यहां पर आपको ₹1000 से लेकर ₹5000 तक के रूम मिल जाएंगे.
अगर आप सर्दियों के मौसम में आएंगे या आपको प्रकृति का आनंद लेना है तो श्रीनगर से खिर्सू का आप रुख कर सकते हैं. श्रीनगर से खिरसू की दूरी लगभग 30 किलोमीटर है. यहां पर नवंबर से फरवरी तक बर्फबारी के साथ-साथ हिमाच्छादित चोटियों का दीदार कर सकते हैं. यहां के शांत पहाड़, आपको बहुत भाएंगे.
धारी देवी के दर्शन के बिना चारधाम यात्रा अधूरी- श्रीनगर से लगभग 15 किलोमीटर दूरी पर सिद्धपीठ धारी देवी का मंदिर स्थित है. इस सिद्धपीठ को ‘दक्षिणी काली माता’ के रूप में पूजा जाता है. मान्यता है कि ‘धारी देवी’ उत्तराखंड में चारों धाम की रक्षा करती हैं. कहा जाता है कि रोजाना माता तीन रूप बदलती हैं. वह सुबह कन्या, दोपहर में युवती और शाम को वृद्धा का रूप धारण करती हैं. इसी कारण यहां धारी देवी के प्रति आस्था रखने वाले श्रद्धालु रोजाना बड़ी संख्या में दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
भागीरथी नदी के बीचों-बीच स्थित यह मंदिर कई बार चर्चाओं में आया. जहां पर आप पहाड़ की शिला में प्रकट हुई मां धारी देवी के दर्शन कर सकते हैं. कहा जाता है कि चारधामों की यात्रा बिना धारी देवी के दर्शन के पूरी नहीं होती. यहां पर आपको रुकने के लिए ऐसा कुछ खास तो नहीं मिलेगा, लेकिन आसपास का माहौल, आपको 2-4 घंटे के लिए रुकने पर मजबूर कर सकता है.
धारी देवी मंदिर
धारी देवी के मंदिर के दर्शन के बाद आपको कर्णप्रयाग के दर्शन होंगे. इस जगह को करण गंगा के नाम से भी जाना जाता है. यहां पर स्थित उमा देवी का मंदिर बेहद प्राचीन है. यहां के बाजार छोटे-छोटे गांव और दूर तक दिखने वाले पहाड़ आपको रोमांचित करेंगे. बताया जाता है कि 1803 में भयानक बाढ़ की वजह से तबाह हो गया था. अभी फिलहाल उत्तराखंड के तमाम शहर बेहद सुरक्षित और पर्यटकों के लिए खुले हुए हैं. इसलिए बरसात के सीजन के अलावा आप कभी भी इन शहरों का रुख कर सकते हैं. कर्णप्रयाग में अलकनंदा और पिंडर का मिलने होता है.
मिनी स्विट्जरलैंड औली में होंगे खूबसूरत वादियों के दीदार- कर्णप्रयाग से निकलने के बाद लगभग 3 घंटे यानी 90 किलोमीटर की दूरी तय कर आप औली पहुंच सकते हैं. औली को भारत का मिनी स्विट्जरलैंड कहा जाता है. औली वैसे तो स्नो डेस्टिनेशन के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध है. यहां आप चारों तरफ पहाड़ और खूबसूरत वादियां का दीदार कर सकते हैं. टैक्सी के अलावा यहां पर आप रोपवे का सहारा भी ले सकते हैं. सर्दियों में यहां विंटर गेम्स यानी स्कीइंग प्रतियोगिता होती है.
औली
बदरीनाथ धाम के अलावा यहां जा सकते हैं आप- औली के बाद आप बदरीनाथ धाम जा सकते हैं. हालांकि, आप चमोली या गोपेश्वर में स्टे कर बदरीनाथ का सफर तय कर सकते हैं. बदरीनाथ की यहां से दूरी लगभग 60 किलोमीटर है. बदरीनाथ के दर्शन करने के बाद आप भारत के अंतिम गांव नीति माणा भी जा सकते हैं. माणा बदरीनाथ से कुछ ही दूरी पर है. यहां पर पांडवकालीन मंदिर देखने को मिलेंगे. माणा से कुछ दूरी पर स्वर्गारोहिणी है. माना जाता है कि यहां से पांडव स्वर्ग की ओर गए थे.
बदरीनाथ मंदिर
बदरीनाथ का सफर तय करने के बाद आप केदारनाथ का रुख कर सकते हैं. रुद्रप्रयाग में आप रुद्रप्रयाग संगम, चंद्रबदनी मंदिर, तुंगनाथ, चोपता जैसे स्थलों का दीदार कर सकते हैं. यहां पर आपको 1000 से लेकर ₹3000 तक के रूम उपलब्ध हो जाएंगे. यहां पर पंच केदार के दर्शन के साथ प्राकृतिक सुंदरता का भी आनंद ले सकते हैं.
तुंगनाथ की खूबसूरती के आप हो जाएंगे कायल- तुंगनाथ मंदिर भोलेनाथ के पंच केदारों में से एक है. तुंगनाथ में नवंबर के बाद से ही बर्फ का सुंदर नजारा दिखने लगता है. जहां तक नजरें जाती हैं, वहां तक मखमली घास, पर्वत और आसपास बर्फ देखकर यूं लगता है, जैसे बर्फ की चादर बिछी हो. यह नजारा इस जगह को और भी ज्यादा खूबसूरत बना देता है. साथ ही खिले हुए बुरांश के फूल जिन्हें देखकर आपकी नजरें ही नहीं हटेंगी.
तुंगनाथ मंदिर
केदारनाथ धाम के साथ यहां भी जरूर जाएं- रुद्रप्रयाग से केदारनाथ मंदिर की दूरी लगभग 75 किलोमीटर है. यहां से आपको गौरीकुंड और गौरीकुंड से आपको केदारनाथ तक के लिए लगभग 16 किलोमीटर का लंबा ट्रैक पैदल तय करना होता है. हालांकि, अगर आप हवाई यात्रा के माध्यम से केदारनाथ जाना चाहते हैं तो उसके लिए यहां पर आपको अलग-अलग हेली सर्विस मिल जाएंगी. इसके लिए भी आपको टिकट पहले ही बुक करवाना होगा.
केदारनाथ मंदिर में आप भगवान केदारनाथ के दर्शन तो करेंगे ही साथ ही साथ भगवान भैरवनाथ, मंदाकिनी के साथ-साथ आसपास की खूबसूरत वादियों का भी आनंद ले सकते हैं. यहां पर रुकने के लिए धर्मशालाएं और अन्य विकल्प आपको मिल जाएंगे. आप यहां बनाए गए ध्यान गुफा भी जा सकते हैं.
केदारनाथ के बाद करें यहां का रुख- केदारनाथ के दर्शन के बाद आप उत्तरकाशी स्थित गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के दर्शन भी कर सकते हैं. रुद्रप्रयाग से उत्तरकाशी यानी गंगोत्री तक का सफर तय करने के लिए आपको लगभग 9 घंटे का सफर तय करना होगा, जिसमें आपको 270 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी. इस दौरान आपको अगर कहीं रुकना है तो आप बीच में पड़ने वाले छोटे-छोटे गांव में बने होमस्टे और होटलों में रुक सकते हैं. गंगोत्री और यमुनोत्री की दूरी लगभग 225 किलोमीटर की है, लेकिन इस रास्ते में आपको शिव गुफा, नचिकेता ताल, गरम पानी जैसी जगहों के दीदार हो जाएंगे. रास्ते में सेब के लिए मशहूर हर्षिल घाटी भी देखने को मिलेगी.
गंगोत्री के रास्ते में बिताएंगे आप कभी ना भूलने वाले पल- गंगोत्री से उत्तरकाशी की तरफ जब आप रुख करेंगे तो आपको गरतांग गली, नीलम घाटी, हर्षिल, गंगनानी और काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन भी आसानी से हो जाएंगे. अगर आप यहां पर गंगोत्री नेशनल पार्क घूमना चाहते हैं तो आप यहां से पैदल ट्रैक भी कर सकते हैं. यहां पर आपको स्नो लेपर्ड के साथ-साथ वह तमाम जंगली जानवर मिल जाएंगे, जो ठंडे इलाकों में पाए जाते हैं. उत्तरकाशी से अपनी यात्रा समाप्त करने के बाद आप टिहरी होते हुए ऋषिकेश की तरफ आएंगे. इस दौरान आपको विश्व प्रसिद्ध टिहरी झील मिलेगी. जहां आप साहसिक खेलों का लुत्फ उठा सकते हैं.
इसके बाद नरेंद्र नगर चंबा होते हुए आप ऋषिकेश का रुख कर सकते हैं. अगर आप वाया मसूरी आना चाहते हैं तो उसके लिए भी यहां से दो रूट दिए गए हैं. आप नरेंद्र नगर होते हुए चंबा-मसूरी और देहरादून के बाद हरिद्वार तक पहुंच सकते हैं. हालांकि देश के अन्य दोनों के लिए चलने वाली ट्रेन और बस सुविधा आपको देहरादून से भी उपलब्ध हो जाएगी. इसके साथ ही एयरपोर्ट की व्यवस्था भी हरिद्वार शहर से महज 30 किलोमीटर दूरी पर है.
उत्तराखंड आ रहे हैं तो इन बातों का रखें ध्यानः अगर आप चारधाम यात्रा या उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में घूमने आ रहे हैं तो अपने साथ जरूरत के कुछ सामान जरूर लेकर आएं. जैसे सर्दी-जुकाम, बुखार की दवाई, बरसाती या छाता आदि साथ रखें. अगर आप अपनी गाड़ी से आ रहे हैं तो गर्म कपड़े जो आप कहीं बिछाकर या ओढ़ कर सो सकते हैं वह भी रखें. मोटी जैकेट के साथ-साथ जूते, हाथों के दस्ताने जरूर लेकर आएं. उत्तराखंड में मौसम कब बदल जाएगा, इसका आप अंदाजा नहीं लगा सकते हैं.
अगर आप शराब का सेवन करते हैं तो धार्मिक स्थलों से दूर ही रहें. उत्तराखंड में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें. वहीं, राज्य सरकार ने देहरादून से श्रीनगर, श्रीनगर से गौचर, गौचर से बदरीनाथ, गौचर से गौरीकुंड, गौरीकुंड से केदारनाथ, श्रीनगर से गौचर और देहरादून से अन्य जगहों पर जाने के लिए हेलीकॉप्टर की सर्विस भी उपलब्ध कराई गई है. बशर्ते आप को पहले से ऑनलाइन टिकट लेनी होगी. और हां उत्तराखंड में अब मास्क अनिवार्य है.