अगर कोई खाने की चीजें खाएं तो समझ में भी आता है, लेकिन यदि कोई नहीं खाने की चीज खाएं तो सवाल उठना लाजमी है। डिंडोरी शहपुरा के बरगांव में एक ऐसा षख्स है जिसे कांच खाने का बेहद खतरनाक षौक है। इन्हें बचपन से ही कांच खाने का जुनून सवार था जो आज भी बरकरार है। न्यूज 29 इंडिया आमजन से अनुरोध करता है कि ऐसा प्रयोग आप न करें, यह खतरनाक है। इस समाचार के माध्यम से हम केवल आपको जानकारी दे रहे है।
आज न्यूज 29 इंडिया आपको ऐसे षख्स से मिलवाने जा रहा है, जिसे कांच खाने का षौक है। दयाराम का यह भी कहना है कि अब उनके दांत कमजोर हो गए है इसलिए उन्होंने कांच खाना कम कर दिया, नहीं तो पहले वह आधा से एक किलों तक कांच खा जाते थें। दयाराम उर्फ दानी बल्ब और बॉटल के टुकड़ों को आसानी से चने की तरह चबा-चबाकर निगल जाते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि जब हमने दयाराम से उनके अजीबोगरीब शौक के बारे में जानने की कोशिश की तो उन्होंने बताया कि बचपन से ही उनके दिमाग में कुछ अलग करने की इच्छा थी और इसी चाहत के चलते उन्होंने कांच खाना शुरू कर दिया, जो पहले उनका शौक था फिर बाद में उनका नशा बन गया।
दयाराम साहू की माने तो पहले वो आधा से एक किलो तक कांच चबाकर खा जाते थे। वे 40-45 साल से लगातार कांच खाते आ रहे हैं। हालांकि दांत कमजोर होने के कारण अब उन्होंने कांच खाना धीरे धीरे बंद करने का निश्चय कर लिया है। आपको बता दें कि दयाराम साहू उर्फ दानी पेशे से सीनियर एडवोकेट और नोटरी भी हैं। जब इस संबंध में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शहपुरा में पदस्थ चिकित्सक डाॅ सत्येंद्र परस्ते से बात की तो उन्होंने बताया कि इस तरह का शौक जानलेवा हो सकता है। कांच डाइजेस्टिव नहीं होता इससे पेट की आंतों में इंफेक्शन हो सकता है। लोगों को इस तरह के खतरनाक शौक नहीं करना चाहिए।
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