अपराधियों से दो कदम आगे रहेगी पुलिस, मिलेंगे कई अधिकार, दंड प्रक्रिया शिनाख्त विधेयक लोकसभा से पारित

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नई दिल्ली, अपराधियों का बायोमीट्रिक नमूना लेने और उसे 75 वर्षो तक सुरक्षित रखने का पुलिस को अधिकार देने वाला दंड प्रक्रिया शिनाख्त विधेयक लोकसभा से पारित हो गया। विपक्ष ने विधेयक के कई प्रविधानों के दुरुपयोग की आशंका जताते हुए इसे संसद की स्थायी समिति में भेजने की मांग की लेकिन गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष की आशंकाओं का जवाब देते हुए विधेयक को आपराधिक न्याय प्रणाली को अत्याधुनिक तकनीक से लैस करने का हिस्सा बताया। उन्‍होंने कहा कि विधेयक इस बात को सुनिश्चित करेगा कि पुलिस और जांचकर्ता अपराधियों से दो कदम आगे रहें।

मिनटों में चलेगा अपराधियों का पता

  • किसी अपराधी का पूरा डाटा राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के पास रहेगा।
  • अपराध की जांच के दौरान कोई बायोमीट्रिक सैंपल मिलता है तो थाना उसे एनसीआरबी में भेजेगा।
  • एनसीआरबी जल्द ही यह बता देगा कि संबंधित बायोमीट्रिक नमूना किस अपराधी से मिलता है।
  • इसके बाद उस अपराधी की विस्तृत जानकारी अपराध की जांच कर रहे संबंधित थाने को भेज दी जाएगी।

दोषसिद्धि का अनुपात बढ़ाना है मकसद

केंद्रीय गृह मंत्री ने स्पष्ट किया कि इसका एकमात्र उद्देश्य दोषसिद्धि का अनुपात बढ़ाना है। ध्यान देने की बात है कि विपक्ष ने पिछले हफ्ते लोकसभा में इस विधेयक को पेश किए जाने का भी विरोध किया था।

उपयोग के बारे में विस्तार दी जानकारी

अमित शाह ने दंड प्रक्रिया शिनाख्त विधेयक की जरूरत और उपयोग के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि महिलाओं और बच्चों के साथ अपराध को छोड़कर सात साल से कम सजा पाने वाले अपराधियों का बायोमीट्रिक डाटा नहीं लिया जाएगा। लेकिन यदि उनमें से कोई स्वैच्छिक रूप से अपना डाटा देना चाहे तो इसका भी प्रविधान किया गया है।

दुरुपयोग नहीं होने दिया जाएगा

अमित शाह ने यह भी बताया कि इसके तहत जुटाए गए डाटा को सुरक्षित रखने का पुख्ता इंतजाम किया जाएगा। किसी भी स्थिति में इसका दुरुपयोग नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने इस डाटा को सभी एजेंसियों के साथ साझा करने की आशंकाओं को निर्मूल बताया। विधेयक के प्रविधानों से अपराधियों के मानवाधिकार हनन का मुद्दा उठाने पर अमित शाह ने विपक्षी सांसदों को आड़े हाथों लिया। शाह ने साफ कर दिया कि अपराधियों के मानवाधिकार के साथ-साथ उन पीडि़तों का भी मानवाधिकार होता है, जो उसके शिकार हुए हैं।

मानवाधिकार की सुरक्षा सरकार की जिम्‍मेदारी

शाह ने कहा कि अपराधियों के हाथों प्रताडि़त होने वाले निर्दोष नागरिकों के मानवाधिकार की सुरक्षा सरकार और सदन की जिम्मेदारी है। यह विधेयक उसी के लिए है। उन्होंने 2020 का एनसीआरबी का डाटा देते हुए बताया कि देश में हत्या और दुष्कर्म जैसे मामलों में केवल 44 प्रतिशत और 39 प्रतिशत में ही दोषियों को सजा मिल पाई थी। बाकी आरोपित साक्ष्य की कमी के कारण छूट गए थे।

जेलों के लिए अलग से माडल कानून पर हो रहा काम

शाह ने कहा कि बायोमीट्रिक डाटा की मदद से आरोपितों के खिलाफ पुख्ता सुबूत जुटाने में मदद मिलेगी और पीडि़तों को त्वरित न्याय मिल सकेगा। उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि जेल में सजा काट रहे अपराधियों के हितों और नागरिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए सरकार जेलों के लिए अलग से माडल कानून बनाने पर काम कर रही है। इसे जल्द ही संसद में पेश किया जाएगा।

विपक्ष की आशंकाओं को किया खारिज

उन्होंने धरना-प्रदर्शन के दौरान पकड़े गए लोगों का बायोमीट्रिक डाटा लेने की विपक्ष की आशंकाओं को खारिज कर दिया। कहा कि कानून में इसके लिए स्पष्ट प्रविधान किए जाएंगे। यदि इसके बाद भी कोई कमी रहती है तो सरकार विधेयक में संशोधन भी लेकर आएगी। उन्होंने कहा कि लंबे समय बाद बन रहे नए कानून के लिए और इंतजार नहीं किया जा सकता है। इसलिए इसे स्थायी समिति में नहीं भेजा जाना चाहिए।

किसका लिया जाएगा नमूना

  • महिलाओं-बच्चों के साथ अपराध को छोड़कर सात साल से कम सजा पाने वाले अपराधियों का बायोमीट्रिक नमूना नहीं लिया जाएगा।
  • फिर भी कोई अपराधी स्वैच्छिक रूप से अपना जैविक नमूना देना चाहे तो इस विधेयक में इसका भी प्रविधान किया गया है।
  • डाटा की सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया जाएगा। इसका दुरुपयोग नहीं होने दिया जाएगा। डाटा अन्य एजेंसियों से साझा नहीं किया जाएगा।

इस तरह के नमूने लेगी पुलिस

इस विधेयक के तहत पुलिस को दोषियों और अपराध के मामले में गिरफ्तार व्यक्तियों की अंगुली एवं हथेली की छाप, पैरों की छाप, फोटो, आंखों की पुतली, रेटिना और शारीरिक तथा जैविक नमूने जुटाने और उनका विश्लेषण करने का अधिकार दिया गया है। इसके जरिये देशभर में अपराधियों की पहचान के लिए डाटाबेस तैयार होगा। इस समय सिर्फ सजायाफ्ता कैदियों का फिंगर प्रिंट और फुट प्रिंट लेने का प्रविधान है।

अलग रूप में नहीं देखें

अमित शाह ने कहा कि विपक्षी सांसदों को दंड प्रक्रिया शिनाख्त कानून को अलग-थलग रूप में नहीं देखना चाहिए। यह पूरी आपराधिक न्याय प्रणाली को अत्याधुनिक तकनीक से लैस करने के लिए किए जा रहे प्रयासों का हिस्सा है। इसके तहत सीसीटीएनएस से थानों को जोड़ा जा चुका है। अब तक सात करोड़ से अधिक एफआइआर इस पर उपलब्ध हैं।

विपक्ष को लिया आड़े हाथ

  • विधेयक के प्रविधानों से अपराधियों के मानवाधिकार हनन का मुद्दा उठाने पर अमित शाह ने विपक्षी सांसदों को आड़े हाथों लिया।
  • कहा कि अपराधियों के मानवाधिकार के साथ-साथ उन पीडि़तों का भी मानवाधिकार होता है, जो उसके शिकार हुए हैं।
  • अपराधियों के हाथों प्रताडि़त निर्दोष नागरिकों के मानवाधिकार की रक्षा सरकार और सदन की जिम्मेदारी है। यह विधेयक उसी के लिए है।

अदालतों को किया जा रहा डिजिटल

इसके साथ ही जेलों, फोरेंसिक लैब और अदालतों को डिजिटल किया जा रहा है। इन चारों को एक-दूसरे से जोड़ने की काम भी शुरू कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्मार्ट पुलिसिंग की बात की थी। दंड प्रक्रिया शिनाख्त कानून इसी दिशा में अहम कदम है।

यह भी कहा गृह मंत्री ने

  • चर्चा वोट बैंक को खुश करने के लिए नहीं, बल्कि समस्या के समाधान के लिए होनी चाहिए।
  • विपक्ष को सिर्फ अपराधियों की चिंता है। सरकार को कानून के आधार पर जीने वाले लोगों की चिंता है।
  • अपराध और अपराधी दोनों आधुनिक हो गए हैं। हम पुलिस को आधुनिक तकनीक से लैस भी न करें?
  • देरी से मिले न्याय का उपयोग नहीं है। समय पर दोषी को सजा मिले तभी कानून का राज स्थापित होगा।
  • सरकार मानती है कि जांच थर्ड डिग्री के आधार पर नहीं, तकनीक और डाटा के आधार पर होनी चाहिए।
  • हम वोट बैंक की राजनीति नहीं करते। हम देश को विश्व में सर्वोच्च स्थान पर ले जाना चाहते हैं।

कांग्रेस के आरोप का प्रतिवाद

दंड प्रक्रिया शिनाख्त कानून पर बहस के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ एफआइआर को लेकर अमित शाह और लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई। अमित शाह ने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ एफआइआर होने के अधीर रंजन चौधरी के बयान का तीखा प्रतिरोध करते हुए इसके लिए सदन से माफी मांगने को कहा।

सांसदों को देना चाहिए बायोमीट्रिक नमूना

दरअसल, चर्चा के दौरान चौधरी ने कह दिया कि लंबे समय से सार्वजनिक जीवन में रहने वाले सांसदों के खिलाफ कभी न कभी कोई न कोई एफआइआर जरूर हुई है। इसीलिए सबसे पहले सांसदों को पुलिस के सामने अपना बायोमीट्रिक नमूना देना चाहिए। इसी सिलसिले में उन्होंने अपने साथ-साथ अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी का भी नाम लिया।

माफी मांगें अधीर रंजन चौधरी

अमित शाह के प्रतिरोध करने के बाद विपक्ष की ओर से यह कहने की कोशिश हुई कि अधीर रंजन ने सीधे पीएम मोदी का नाम नहीं लिया था लेकिन अमित शाह ने साफ किया कि उन्होंने खुद इसे सुना है। रिकार्ड चेक किया जा सकता है। इसके लिए चौधरी को माफी मांगनी चाहिए।

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