ग्वालियर । मादक पदार्थों की तस्करी रोकने में जुटे केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो की मध्य प्रदेश इकाई ने अब तक के सबसे बड़े अभियान को पूरा किया है. प्रदेश सीबीएन के अधिकारी ने चीन सीमा से सटे अरुणाचल प्रदेश में ड्रग्स रैकेट का पता लगाया है. तीन सप्ताह तक सीबीएन की टीमें अरुणाचल प्रदेश में रहीं और 14000 बीघा में लगाए गए अफीम के जंगलों को नष्ट कर दिया है. यह मात्रा इतनी है जितनी पूरे मप्र में सरकार दवाओं के निर्माण के लिए लाइसेंस देकर भी उत्पादन नहीं करवाती है. केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के कवर के बीच इस पूरे अभियान को अंजाम दिया गया है.
केंद्रीय नारकोटिक्स की बड़ी कार्रवाई
नीमच-ग्वालियर दल ने चलाया अभियान : कार्रवाई के लिए सीबीएन नीमच और ग्वालियर में पदस्थ अधिकारियों के दल बनाए गया. यह दल फरवरी के अंत में अरुणाचल प्रदेश पहुंचा. पर्यटक के रूप में घूमते हुए अपनी खुफिया जानकारी के आधार पर उन्होंने जंगल का पता किया. जहां अफीम की खेती हो रही थी. केंद्रीय एजेंसियों और सीआरपीएफ के साथ स्थानीय पुलिस की मदद से एक साथ अभियान चलाया गया. अभियानमें सभी अवैध खेतों को नष्ट कर दिया गया. सीबीएन ग्वालियर के अधीक्षक प्रशांत काम्बले ने बताया कि अरुणाचल प्रदेश में जंगलों के बीच की जा रही अफीम की खेती के तार उग्रवादी संगठनों से जुड़े हैं. सीबीएन को आशंका है कि इस पैदावार की कमाई से आतंकी संगठनों को फंडिग की जाती है.
डेढ़ लाख क्विंटल होता उत्पादन : नष्ट की गई अफीम की कीमत लगभग एक अरब 62 करोड़ रुपये बताई गई है. केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के कवर के बीच इस पूरे अभियान को अंजाम दिया गया. सीबीएन मप्र ने अरुणाचल प्रदेश में अवैध रूप से उगाए गए अफीम के जितने खेतों को नष्ट किया है. उससे कम से कम डेढ़ लाख क्विंटल अफीम का उत्पादन होता.
अधिकारियों को हुई हैरानी : सीबीएन की मप्र इकाई लगातार अफीम और अन्य मादक पदार्थों के तस्करों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. इस दौरान मप्र और राजस्थान में एक के बाद कई अफीम तस्करों को पकड़ा गया. उस दौरान सीबीएन के अधिकारियों को हैरानी हुई थी कि, तस्कर पहले के मुकाबले कम कीमत पर अफीम का सौदा कैसे कर रहे हैं. बाद में अभियान चलाकर अफीम के जंगलों को नष्ट कर दिया है.