कांग्रेस में बड़ी सर्जरी की हो रही तैयारी, मप्र में कमलनाथ को मिलेगा पार्टनर

राजनीति

भोपाल । पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस संगठन में बड़े स्तर पर सर्जरी की तैयारी चल रही है। अगले 15 दिन के अंदर बड़े बदलाव किए जा सकते हैं। इसके तहत उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में नए पीसीसी चीफ बनाए जाएंगे। इसके अलावा कुछ राज्यों में महासचिवों और सचिवों की छुट्टी भी हो सकती है। वहीं मप्र में प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को कुछ दमदार सहयोगी मिल सकते हैं। गौरतलब है कि 20 महीने बाद, यानी दिसंबर 2023 में मप्र में विधानसभा चुनाव होंगे। मप्र में कांग्रेस की कमान अभी कमलनाथ के पास है। वह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के अलावा नेता प्रतिपक्ष की भी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। चर्चा है कि आने वाले दिनों में कमलनाथ के पास केवल एक ही जिम्मेदारी रह जाएगी। संगठन की जिम्मेदारी किसी नए व्यक्ति को दी जाएगी, ताकि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी में नया जोश भरा जा सके और कांग्रेस भाजपा से मुकाबला कर सके। 2018 में कमलनाथ के पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए कांग्रेस की 15 साल बाद सत्ता में वापसी हुई थी, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया से टकराव करना कमलनाथ को भारी पड़ा। सिंधिया से टकराव के कारण मार्च 2020 में कमलनाथ को अपनी सरकार गंवानी पड़ी।


गुटबाजी दूर करने पर मेन फोकस
आगामी विधानसभा चुनावों की लिस्ट में शामिल मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान और छत्तीसगढ़ समेत तमाम अन्य राज्यों में संगठन को मजबूत करने के लिए कांग्रेस आलाकमान के स्तर पर नई रणनीति पर काम चल रहा है। इसमें मुख्य रूप से हर राज्य में संगठन के भीतर नेताओं के आपसी टकराव को खत्म करने पर फोकस है। पंजाब और उत्तराखंड में जिस तरह से कांग्रेस की हार हुई है, उसकी सबसे बड़ी वजह संगठन के भीतर आपसी टकराव को ही माना जा रहा है। चुनावी राज्यों में ये वाकया दोबारा न हो, इसके लिए पार्टी के नेताओं को एकजुट करने की कोशिश की जा रही है। दरअसल शायद ही ऐसा कोई राज्य हो, जहां कांग्रेस में नेताओं के बीच आपसी वर्चस्व की लड़ाई न हो। इसका सबसे अधिक नुकसान कांग्रेस को हो रहा है।


महासचिव, सचिव भी बदले जाएंगे
कांग्रेस की ओर से कुछ राज्यों के महासचिव और सचिवों को भी बदलने की तैयारी है। इसके लिए पार्टी में होमवर्क किया जा रहा है। जमीन पर कांग्रेस को मजबूती देने की रणनीति तैयार की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक 10 से 15 फीसदी तक नए महासचिव बनाए जाएंगे, जबकि 20 से 25 फीसदी नए सचिव बनाए जाएंगे। पुराने पदाधिकारियों को हटाया जाना तय माना जा रहा है। इसके लिए उनके कामकाज का मूल्यांकन किया जा रहा है।
 

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