योगी की उपयोगी टीम, 53 सदस्यीय कैबिनेट में सभी जाति-वर्गों को साधने का प्रयास; पिछड़ों पर बड़ा दांव

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लखनऊ :उत्तर प्रदेश के लिए योगी ही उपयोगी हैं, इस विश्वास के साथ भाजपा नेतृत्व ने योगी आदित्यनाथ को दोबारा प्रदेश की सत्ता सौंपी तो इस बार टीम भी उपयोगी ही दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में योगी ने अपने मंत्रिपरिषद के साथ मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। कई मिथक तोड़कर प्रदेश में लगातार दूसरी बार सरकार बनाने वाली भाजपा ने इस बार सभी को अचंभित करते हुए दिग्गज का तमगा लिए पिछली सरकार के कई बड़े मंत्रियों को किनारे कर दिया।

विधानसभा चुनाव परिणामों से इतर पार्टी के ‘रिपोर्ट कार्ड’ में अच्छी रैंकिंग लाने वाले केशव प्रसाद मौर्य फिर उपमुख्यमंत्री बनाए गए हैं तो डा. दिनेश शर्मा के स्थान पर ब्रजेश पाठक को डिप्टी सीएम बनाया गया है। योगी के इस 53 सदस्यीय मंत्रिपरिषद में पिछड़ों पर विशेष प्रेम लुटाते हुए जिस तरह सभी जाति-वर्गों को साधने का प्रयास दिखा है, वह स्पष्ट रूप से लोकसभा चुनाव 2024 की मजबूत तैयारी है।

राजधानी लखनऊ के अटल बिहारी वाजपेयी इकाना स्टेडियम में शुक्रवार को योगी सरकार 2.0 का ऐतिहासिक शपथ ग्रहण समारोह हुआ। प्रदेश की राजनीति में 37 वर्ष बाद भाजपा ने लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी का रिकार्ड बनाया तो पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के बाद दोबारा शपथ लेने का इतिहास योगी ने रच दिया।

प्रदेशभर से जुटे हजारों समर्थकों के बीच पीएम मोदी की उपस्थिति में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने योगी और उनके नए मंत्रिमंडल को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। मुख्यमंत्री, दो उपमुख्यमंत्री सहित 19 कैबिनेट मंत्री, 14 राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 20 राज्यमंत्री इस मंत्रिमंडल में शामिल किए गए हैं।

शपथ ग्रहण समारोह से पहले तमाम अटकलें चल रही थीं, कई नाम मंत्री और उपमुख्यमंत्री पद के दावेदार बनाए जा रहे थे, लेकिन ज्यों ही समारोह का मंच सजा और उस पर शपथ लेने वाले कुर्सियों पर बैठना शुरू हुए तो लगभग सभी हतप्रभ रह गए।

दरअसल, केशव प्रसाद मौर्य को दोबारा डिप्टी सीएम बनाए जाने की संभावना मजबूती से जताई जा रही थी, लेकिन उनके साथी उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा को हटाकर वह कुर्सी पिछली सरकार में विधि मंत्री रहे ब्रजेश पाठक को सौंपकर भाजपा ने चौंका दिया। हालांकि, पिछड़ा और ब्राह्मण वर्ग का संतुलन यथावत रहा।

आइएएस और आइपीएस की नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर आए क्रमश: अरविंद कुमार शर्मा व असीम अरुण और उत्तराखंड की राज्यपाल रहीं बेबी रानी मौर्य को मंत्री बनाया जाना संभावित भी था, लेकिन आठवीं बार विधायक बने निवर्तमान मंत्री सतीश महाना, आशुतोष टंडन, सिद्धार्थनाथ सिंह, श्रीकांत शर्मा की मंत्रिमंडल में वापसी न होना अप्रत्याशित रही।

इससे संदेश भी दिया गया है कि जिस तरह मोदी मंत्रिमंडल से कुछ माह पहले कई दिग्गज मंत्रियों की छुट्टी की गई थी, वही फार्मूला अब भाजपा की किसी भी सरकार में लागू होगा। नाम की महिमा का मोह छोड़कर पार्टी की नजर अब ‘परफार्मेंस’ पर है।

भाजपा के रणनीतिकारों ने एक-एक नाम समीकरण साधते हुए तय किया है और जातीय व क्षेत्रीय संतुलन बनाया गया। प्रदेश की आबादी में सर्वाधिक भागीदारी वाले पिछड़ा वर्ग से 20 मंत्री हैं तो प्राथमिकता में दूसरे स्थान पर वह दलित रहे हैं, जिन्होंने बसपा का नीला खेमा छोड़कर प्रदेश में भगवा परचम फहराने में बड़ी भूमिका निभाई। इनाम के तौर पर आठ मंत्री दलित वर्ग से बनाए गए हैं। सात ब्राह्मण, छह क्षत्रिय, चार वैश्य और दो भूमिहार हैं। एक-एक मंत्री के रूप में कायस्थ, सिख और मुस्लिम समाज का प्रतिनिधित्व है। मंत्रिपरिषद में पांच महिलाएं भी हैं।

संगठन को काम का इनाम : भाजपा संगठन को भी विधानसभा चुनाव में मेहनत से किए गए काम का इनाम दिया गया है। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाया तो चुनाव प्रबंधन संभालने वाले प्रदेश महामंत्री जेपीएस राठौर और पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र कश्यप को अपने वर्ग में काम करने का उपहार मिला है। दोनों का स्वतंत्र प्रभार के साथ राज्यमंत्री बनाया गया है।

सहयोगी दल और दूसरे दल से आने वालों का भी मान : इस टीम को तैयार करने में भाजपा ने सहयोगी दलों का भी मान रखा है। अपना दल (एस) के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष पटेल और निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. संजय निषाद को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। वहीं, दूसरे दल से आए राकेश सचान, दिनेश प्रताप सिंह को मंत्री पद दिया है। जितिन प्रसाद का कैबिनेट मंत्री का पद बरकरार है तो पिछली सरकार में विधानसभा उपाध्यक्ष बनाए गए नितिन अग्रवाल अब राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार होंगे।

मंच पर मौजूद रहे दिग्गज : रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, स्मृति ईरानी, अनुराग ठाकुर, महेंद्र नाथ पांडेय, अनुप्रिया पटेल, पूर्व राज्यपाल राम नाईक, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा, मणिपुर के एन बीरेन सिंह और कई अन्य राज्यों के प्रमुख नेता।

ये हैं मंत्रिपरिषद के सदस्य

  • मुख्यमंत्री : योगी आदित्यनाथ

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  • उप मुख्यमंत्री : केशव प्रसाद मौर्य व ब्रजेश पाठक

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कैबिनेट मंत्री

  • 1. सुरेश कुमार खन्ना
  • 2. सूर्य प्रताप शाही
  • 3. स्वतंत्र देव सिंह
  • 4. बेबी रानी मौर्य
  • 5. लक्ष्मी नारायण चौधरी
  • 6. जयवीर सिंह
  • 7. धर्मपाल सिंह
  • 8. नन्द गोपाल गुप्ता नंदी
  • 9. भूपेंद्र सिंह चौधरी
  • 10. अनिल राजभर
  • 11. जितिन प्रसाद
  • 12. राकेश सचान
  • 13. अरविंद कुमार शर्मा
  • 14. योगेन्द्र उपाध्याय
  • 15. आशीष पटेल
  • 16. डा.संजय निषाद

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राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार

  • 1. नितिन अग्रवाल
  • 2. कपिल देव अग्रवाल
  • 3. रविंद्र जायसवाल
  • 4. संदीप सिंह
  • 5. गुलाब देवी
  • 6. गिरीश चंद्र यादव
  • 7. धर्मवीर प्रजापति
  • 8. असीम अरुण
  • 9. जेपीएस राठौर
  • 10. दयाशंकर सिंह
  • 11. दिनेश प्रताप सिंह
  • 12. नरेन्द्र कश्यप
  • 13. अरुण कुमार सक्सेना
  • 14. दयाशंकर मिश्र दयालु

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राज्य मंत्री

  • 1. मयंकेश्वर सिंह
  • 2. दिनेश खटीक
  • 3. संजीव कुमार गोंड
  • 4. बलदेव सिंह ओलख
  • 5. अजीत पाल सिंह
  • 6. जसवंत सैनी
  • 7. रामकेश निषाद
  • 8. मनोहर लाल मन्नू कोरी
  • 9. संजय सिंह गंगवार
  • 10. ब्रजेश सिंह
  • 11. केपी मलिक
  • 12. सुरेश राही
  • 13. अनूप प्रधान
  • 14. प्रतिभा शुक्ला
  • 15. राकेश राठौर
  • 16. डा.सोमेन्द्र तोमर
  • 17. रजनी तिवारी
  • 18. सतीश चंद्र शर्मा
  • 19. दानिश आजाद अंसारी
  • 20. विजयलक्ष्मी गौतम

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